परिजनों की चीत्कार से गूंजा पोस्टमार्टम हाउस
औरैया हादसे में जान गंवाने वालों के परिजन शव लेने औरैया पहुंचे
औरैया। औरैया हादसे में जान गवाने वाले 2 दर्जन से अधिक लोगों के शवों का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल चिचोली के पोस्टमार्टम हाउस में शनिवार देर रात तक हुआ। हादसे की खबर पर अपने लाड़लों का शव लेने पहुंचे परिजनों की चीत्कार से पोस्टमार्टम हाउस भी मानो दहल गया।इतनी बड़ी संख्या में शव और उनके परिजनों का करुण क्रंदन देख हर किसी की आंखें नम हो उठी। शनिवार तड़के हुए इस हादसे में डीसीएम और ट्रॉला की भिड़ंत से 26 प्रवासी मजदूरों की मौत हो गई जबकि करीब 3 दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हुए। यह सभी मजदूर डीसीएम व ट्राला से राजस्थान और फरीदाबाद से अपने राज्यों की ओर लौट रहे थे। हादसे में कई बूढ़े माता-पिता ने अपने बुढ़ापे का सहारा खोया तो कई बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। महिलाओं ने जिंदगी भर का साथ निभाने का वादा करने वाले पति को इस हादसे में खोया तो कई परिवारों की उम्मीदें कुचल गई।
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बिहार के रहने वाले केदार यादव ने इस हादसे में जान गवाई है। परिजन उनके सकुशल घर आने की राह देख रहे थे, केदार फोन पर लगातार परिजनों के संपर्क में थे। पर हादसे ने पल भर में सब कुछ बदल दिया। हादसे की खबर पर केदार के माता-पिता भाई व अन्य परिजन औरैया पहुंचे तो उनका रो रो कर बुरा हाल हो रहा था। परिवार का भरण पोषण करने के लिए केदार अजमेर की टाइल्स फैक्ट्री में काम करते थे लाख डाउन में फैक्ट्री बंद हो गई तो केदार को घर की याद सताने लगी। अपने जिले गया बिहार के तीन अन्य साथियों के साथ केदार घर जाने के लिए निकल पड़े पर उनका यह सफर अधूरा ही रह गया। परिजन औरैया पहुंचे तो उन्हें केदार का सफेद चादर में लिपटा शव मिला,यह देख परिजन सुध बुध खो बैठे। हादसे में केदार के जिले के अशोक, सत्येंद्र को भी जान गंवानी पड़ी है।
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यूपी के भदोही निवासी श्रीधर विश्वकर्मा के पास फोन पहुंचा था कि हादसे में उनका बेटा घायल हुआ है। बेटे की कुशल क्षेम की कामना करते हुए बुढ़ापे की ओर बढ़ रहे श्रीधर विश्वकर्मा तत्काल औरैया रवाना हो जाते हैं पर यहां पहुंचते-पहुंचते उनकी सारी उम्मीदें टूट जाती हैं। जिस बेटे का हालचाल जानने श्रीधर औरैया आ रहे थे वह बेटा उन्हें जीवन भर ना भुला सकने वाला गम देकर दुनिया छोड़ चुका था। पोस्टमार्टम हाउस में श्रीधर को बेटे मुकेश का शव मिला। मां और पत्नी भी मुकेश के घर आने की राह तक रही थीं। खुद को संभालते हुए बूढ़े पिता पत्नी व बहू को सच्चाई बताने से बचते हुए आंखों में आंसू भर कर फोन पर बेटे का अस्पताल में इलाज होने की बात कह रहे थे। श्रीधर का बेटा मुकेश काम की तलाश में 2 माह पहले भदोही से जयपुर गया था। लॉक डाउन के चलते काम मिला नहीं और घर वापस लौटने का असुरक्षित सफर मुकेश की जिंदगी का आखिरी सफर बन गया।।