औरैया। कभी कभी इंसान के ऊपर नियति इतनी विपदा डाल देती है कि उस परिवार के सामने मुसीबतों का पहाड़ सा खड़ा हो जाता है।उस परिवार के सदस्यों को ये नही सूझता है कि अब करें तो क्या करें।बिल्कुल यही थाना एरवा के अंतर्गत दोबा माफी गांव की निवासनी गुड्डी देवी के साथ हुआ।
सड़क हादसे में घर के एक मात्र सहारे की मौत
लगभग चौदह साल पहले पति की मृत्यु के बाद नन्हे नन्हे पांच बच्चों को पालने के लिए मेहनत मजदूरी करने को ही उन्होंने अपना भाग्य मानकर तसल्ली कर ली थी।पिछली साल बड़ी पुत्री संगीता की शादी अच्छे परिवार में कर के पूरा परिवार पिछले गमों को भुलाकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहा था, कि अचानक मंगलवार देर रात सबसे बड़े बेटे संजीव की सड़क हादसे में हुई मृत्यु की सूचना ने उनको हिलाकर रख दिया।
दिबियापुर से अपनी ननिहाल जा रहे संजीव बाथम उम्र बीस वर्ष पुत्र दलबीर बाथम को वाहन का इंतजार करते समय अज्ञात वाहन ने रौंद दिया।वहां उपस्थित लोगों ने ये सूचना 112 और एम्बुलेन्स को दी।तुरन्त घटनास्थल पर पहुंचकर एम्बुलेंस ने घायल संजीव को सहार के पुरवा त्रा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया,लेकिन ज्यादा खून बह जाने के कारण उसकी रास्ते मे ही मृत्यु हो गई।पांच भाई बहनों में संजीव सबसे बड़ा था और बाहर प्राइवेट नौकरी करके मां और भाई बहनों की जिम्मेदारी उठा रहा था।
जैसे ही यह सूचना संजीव के ननिहाल सहायल पहुंची तो उसके मामा बेंचेलाल बाथम ने अपनी बहन को भी बुला लिया।सहार अस्पताल आकर तो मानो उनपर वज्रपात हो गया हो।जैसे ही घायल संजीव को एम्बुलेन्स से नीचे उतारा गया,ड्यूटी पर तैनात डॉ नवीन कुमार ने उसे चैक करने के बाद मृत घोषित कर दिया।परिजनों का रो रोकर बुरा हाल था।मां गुड्डी देवी केवल एक ही बात कह रही थी कि मुझे भी अपने बेटे के साथ जाना है।