हैदराबाद। प्रभु राम की नगरी अयोध्या में जहां भव्य राम लला मंदिर का निर्माण तेजी से हो रहा है वही दक्षिणी राज्य तेलंगाना के शहर हैदराबाद से 70 किमी दूर यदागिरिगट्टा पहाड़ी पर 1850 एकड़ में फैला निर्माणाधीन यद्रादि बालाजी का विशाल मंदिर भव्य आकार ले चुका है। राज्यों के बंटवारे में तिरुपति मंदिर के आंध्र प्रदेश में रह जाने की कसक के बाद तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर 2017 से इस मंदिर परिसर को विकसित कर रहे हैं। इस पूरे प्रोजेक्ट का बजट 1800 करोड़ रुपए रखा गया है।
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जानकारी के अनुसार अब तक इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर 852 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। इनमें 248 करोड़ मंदिर निर्माण में लगे हैं। बाकी राशि भू अधिग्रहण, इंफ्रास्ट्रक्चर और चार लेन की सड़कें विकसित करने में खर्च हुए हैं। हालांकि सरकारी धन से मंदिर निर्माण कराने पर केसीआर का विरोध भी हो रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद वी हनुमंत राव कहते हैं कि केसीआर मंदिर के बहाने हिंदू मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें अगला चुनाव जीतने पर संदेह है।
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11 हजार किलो पीतल दीवारों पर लगी दीवार और मंदिर के दरवाजे को भव्य रूप देने के लिए 11 हजार किलो पीतल का इस्तेमाल हुआ है। 2.5 लाख टन वजन के 9.3 लाख घन फुट ग्रेनाइट पत्थर का मंदिर निर्माण में इस्तेमाल हुआ है। अंदर से: 700 किलो सोने से गर्भगृह में दो मिलीमीटर मोटी परत चढ़ाई जाएगी। 500 मूर्तिकारों ने दो साल दिन-रात काम कर मूर्तियां बनाई हैं।
ऊपर से: परिसर के 3 तरफ 4.5 फीट मोटाई की 8200 फीट ऊंची रिटेनिंग दीवारें होंगी। 60 पौराणिक मंदिरों के वास्तु से प्रेरणा लेकर निर्माण हुआ है।
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डेढ़ डेढ़ करोड़ में बिके ढाई सौ से ज्यादा मकान मंदिर के किनारे नजदीकी पहाड़ी पर 252 मकान 1.5-1.5 करोड़ रुपए में बेंचे गए हैं। इन मकानों के खरीदार वर्ष में 30 दिन इनमें ठहर सकेंगे। बाकी दिन इन्हें श्रद्धालु किराए पर ले सकेंगे।