गुलजार साहित्यिक कहानियों और विचारों को फिल्मों में ढ़ालने की कला में भी सिद्धहस्त हैं। उनकी फिल्म अंगूर शेक्सपीयर की कहानी कामेडी आफ एरर्स, फिल्म मौसम .ए जे क्रोनिन्स के जूडास ट्री और फिल्म परिचय हॉलीवुड की क्लाॅसिक फिल्म द साउंड आफ म्यूजिक पर आधारित थी ।राहुल देव बर्मन के संगीत निर्देशन में गीतकार के रूप में गुलजार की प्रतिभा निखरी और उन्होंन दर्शकों और श्रोताओं को मुसाफिर हूं यारो फिल्म परिचय. तेरे बिना जिन्दगी से कोई शिकवा तो नहीं फिल्म आंधी, मेरा कुछ सामान फिल्म इजाजत, तुझसे नाराज नहीं जिन्दगी फिल्म मासूम जैसे साहित्यिक अंदाज वाले गीत दिए।संजीव कुमार .जीतेन्द्र और जया भादुड़ी के अभिनय को निखारने में गुलजार ने अहम भूमिका निभायी थी।
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निर्देशन के अलावा गुलजार ने कई फिल्मों की पटकथा और संवाद भी लिखे। इसके अलावा गुलजार ने वर्ष 1977 में किताब और किनारा फिल्मों का निर्माण भी किया। गुलजार को अपने गीतों के लिये अब तक 11 बार फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। गुलजार को तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। गुलजार के चमकदार कैरियर में एक गौरवपूर्ण नया अध्याय तब जुड़ गया जब वर्ष 2009 में फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर में उनके गीत ‘जय हो’ को ऑस्कर अवार्ड से सम्मानित किया गया।
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भारतीय सिनेमा में गुलजार के योगदान को देखते हुये वर्ष 2004 में उन्हें देश के तीसरे बड़े नागरिक सम्मान पदभूषण से अलंकृत किया गया।उर्दू भाषा में गुलजार की लघु कहानी संग्रह धुआं को 2002 में साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है। गुलजार ने काव्य की एक नयी शैली विकसित की है, जिसे त्रिवेणी कहा जाता है। भारतीय सिनेमा जगत में उल्लेखनीय योगदान को देखते हुये गुलजार को फिल्म इंडस्ट्री के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है।