लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के प्रेरणा से आजादी के अमृत महोत्सव के तहत इस वर्ष एक जनवरी से राजभवन में प्रारम्भ हुई परम्परागत खेल प्रतियोगिता में गुरुवार को दिनभर गुल्ली-डंडा खेला गया।
इस प्रतियोगिता में आज 18 टीमों ने प्रतिभागिता की, प्रत्येक टीम में छह प्रतिभागियों ने हिस्सेेेदारी की। गुल्ली-डंडा भारत की गलियों और खुले मैदानों में खेला जाने वाला बेहद रोमांचक खेल है। आज के गुल्ली-डंडा मैच में प्रत्येक प्रतिभागी में इसका उत्साह साफ दिखाई दे रहा था।
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घरों में सहज उपलब्ध लकड़ी के छोटे टुकड़े और डंडे से बच्चों के मध्य खेला जाने वाला ये खेल आज इलेक्ट्रानिक खेलों की दुनिया में लुप्तप्राय हो चला है। कभी इसकी लोकप्रियता के कारण हिंदी कथा सम्राट प्रेमचंद ने ‘‘गुल्ली-डंडा” शीर्षक से ही एक प्रसिद्ध कहानी की रचना की थी। गाँवों के गली-कूचों में आज भी बच्चे ये खेल खेलते दिखाई पड़ते हैं।
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राज्यपाल की प्रेरणा से राजभवन में गतवर्षों से ऐसे भारतीय परम्परागत खेलों का वार्षिक आयोजन किया जा रहा है, जो बेहद सीमित संसाधनों में शहरों, कस्बों, गाँवों के बच्चों के मध्य घरों, गलियों, मैदानों में खेले जाते रहे हैं और बेहद लोकप्रिय भी रहे हैं।