नई दिल्ली । केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने अगले दो वर्षों में स्व-सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ी 2.5 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को आजीविका सहायता प्रदान करने की एक महत्वकांक्षी योजना बनाई है।
मंत्रालय ने महिलाओं को उच्च आर्थिक स्तर पर ले जाने का अधिक ध्यान देने के लिए एसएचजी से जुड़ी ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने के लिए एक पहल की है। इसका उद्देश्य ग्रामीण एसएचजी महिलाओं को प्रति वर्ष कम से कम एक लाख रुपये कमाने में सक्षम बनाना है।
इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए मंत्रालय ने देश भर में मौजूद विभिन्न मॉडलों के आधार पर राज्य सरकारों को एक विस्तृत परामर्श जारी किया है। इस क्रम में 28 अक्टूबर को इस विषय पर विशेष चर्चा के लिए राज्यों, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और ट्रांसफोमेशन रूरल इंडिया फाउंडेशन के साथ एक कार्यशाला आयोजित की गई।
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इस कार्यशाला में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों से लेकर पशुधन, गैर-लकड़ी वन उत्पाद और इनके सम्मिलन के माध्यम से अन्य हस्तक्षेपों तक घरेलू स्तर पर आजीविका गतिविधियों में विविधता लाने के लिए सुनियोजित प्रयासों के महत्व पर जोर दिया गया ताकि लगातार एक लाख रुपये की सालाना आय हो सके। इस प्रकार के कार्यक्रमों को लागू करने के लिए ग्राम संगठन और क्लस्टर स्तर पर संघ को मजबूत करने के महत्व पर भी जोर दिया गया। विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित एसएचजी सदस्यों के समर्पित सामुदायिक कार्यकर्ता उनके लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करेंगे। इस प्रयास में नागरिक समाज संगठनों, कृषि विज्ञान केंद्र और निजी बाजार के अन्य खिलाड़ियों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
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राज्यों को भी इन साझेदारियों को प्रोत्साहित करने और मजबूत बनाने की सलाह दी गई थी।
गाैरतलब है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एक परिपूर्ण सोच पर काम करता है। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 7.7 करोड़ महिलाओं को 70 लाख स्वयं सहायता समूहों में शामिल करने के साथ 6768 ब्लॉकों को कवर किया गया है। एसएचजी को प्रारंभिक पूंजीकरण सहायता प्रदान करने से लेकर सालाना लगभग 80 हजार करोड़ रुपये की सहायता दी जा रही है। इस मिशन के तहत, विभिन्न वर्ग और जाति की गरीब महिलाएं एसएचजी और उनके संघों में शामिल होती हैं, जो अपने सदस्यों को उनकी आय और जीवन स्तर सुधारने के लिए वित्तीय, आर्थिक और सामाजिक विकास सेवाएं प्रदान करते हैं।
मंत्रालय का ध्यान अब सामुदायिक एकजुटता और महिलाओं की संस्थाओं के निर्माण के चरण से आगे बढ़ते हुए अब ध्यान एसएचजी महिलाओं को उत्पादक समूहों, एफपीओ और निर्माता कंपनियों के माध्यम से उच्च क्रम की आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने पर है।