- महापर्व छठ महोत्सव पर उगते सूर्य को दिया अर्घ्य
- तड़के किलाघाट पर गूंजी ब्रती महिलाओं की प्रार्थनाएं
फर्रुखाबाद | गुरुवार को व्रती महिलाओं ने गंगा तट पर विधिविधान से पूजन कर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया। मनौती वाले पुरुषों ने भी सूर्य देव को जलधार अर्पित की।आस्था और संस्कार का महापर्व छठ महोत्सव का उगते सूर्य को अर्घ्य के साथ भव्य समापन हो गया। पांचाल घाट को भव्यता से सजाया गया। छठ माता को भी जलदान करके भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया गया।
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चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ के अंतिम दिन फर्रुखाबाद स्थित गंगा किनारे पांचाल घाट पर तड़के ही श्रद्धा और भक्ति का उल्लास छाने लगा। व्रती महिलाएं व परिजन चार बजे से ही किला घाट पहुंचने लगे। घाट पर बने केले के मंडपों में वेदी पर छठ मैया का पूजन किया गया। इसके लिए घरों से सूप में पूजन सामग्री, फल व मिष्ठान सजाकर लाए गए।
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सुबह छह बजे के बाद भगवान सूर्य की लालिमा बिखेरती किरणें चमकीं तो उल्लास और बढ़ गया। व्रती महिलाएं अर्घ्य देने के लिए मां गंगा की जलधार में उतरीं।पूर्वांचल विकास समिति की देखरेख में गुरुवार सुबह चार बजे से ही गंगा तट पर 36 घंटे से निर्जला व्रत रखे भक्तों का सैलाब उमड़ा। घाट को सुंदर रोशनी से सजाया गया था। व्रती महिलाओं ने स्नान करने के बाद गंगा में खड़े होकर भगवान सूर्य के उदय होने का इंतजार किया। बादल होने की वजह से काफी देर बाद निकले भगवान सूर्य और छठ माता को अर्घ्य दिया।
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परिजन भी पूजन सामग्री के साथ खड़े रहे। सूप में रखा नारियल, केला, ¨सघाड़ा आदि सभी मौसमी फल, आटा व चीनी से बना ठेकुआ, चावल के आटे का कसार का सूर्य देव को भोग लगाया गया। इसी के साथ भगवान भास्कर को एकटक निहारते हुए अर्घ्य दिया गया। मनौती वाले पतियों ने भी जलार्पण किया। श्रद्धालुओं ने वापस घाट पर आकर व्रत का पारायण किया। वापस घर पहुंचकर पूजन के साथ व्रत अनुष्ठान पूर्ण किया। इस दौरान छठ मैया के गीत भी गूंजते रहे। घाट पर पूर्वांचल समाज के लोगों ने एक-दूसरे को लोक पर्व की बधाई दी।इसके बाद भव्य आरती और प्रसाद वितरित किया गया।
बाइट व्रती महिलाये