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संपूर्ण टीकाकरण कराएं, बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाएं

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संपूर्ण टीकाकरण कराएं, बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाएं
  • रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाता है टीका
  • डब्ल्यू.एच.ओ. के सहयोग से वैक्सीन प्रीवेंटेबल डिजीजेज पर हुई जनपद स्तरीय कार्यशाला

औरैया । शिशु मृत्यु दर में कमी लाने में टीकाकरण काफी सहायक होता है। वैक्सीन शरीर को रोग से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है। इन्हीं बातों पर चर्चा करने के उद्देश्य से गुरुवार को जनपद के एक स्थानीय होटल में प्रिवेंटेबल डिजीजेज (टीकाकरण के माध्यम से बचाव की जा सकने वाली बीमारियां) एवं एक्यूट फ्लैक्सिड पैरालिसिस (अचानक होने वाला लकवा) पर जनपद स्तरीय कार्यशाला हुई। स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के सहयोग से कार्यशाला का आयोजन किया गया। बैठक का शुभारंभ मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार वर्मा ने किया। उन्होंने बताया कि अंगों में लकवा मारने के कई कारण हैं, जिनमें जीबी सिंड्रोम,पोलियो, माइलाइटिस, फेशियल पैरालिसिस, आदि प्रमुख हैं। वैक्सीन प्रीवेंटेबल डिजीज वह बीमारियां होती हैं,जिनसे समय से टीकाकरण कराकर बचा जा सकता है। जैसे डिप्थीरिया,काली खांसी,टिटनेस, हेपेटाइटिस, मीजल्स ,रूबेला आदि । उन्होंने जनसामान्य से समय से टीकाकरण कराने की अपील की।

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जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ राकेश सिंह ने बताया कि बचपन में होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए सबसे बेहतर उपाय टीकाकरण है। यह 12 जानलेवा बीमारियों से बचाता है। जिसमें टीबी, हेपेटाइटिस बी, पोलियो, गलाघोंटू, काली खांसी, टिटनेस, हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा, टाइप बी, रोटावायरस, डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया, खसरा, रूबेला एवं जापानी इंसेफेलाइटिस मुख्य हैं। उन्होंने कहा कि समय से टीकाकरण कराकर एवं साफ-सफाई को बढ़ावा देकर इन बीमारियों से बचा जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) की ओर से एसआरटीएल, डॉ. ब्रजेंद्र सिंह एवं एसएमओ डॉ कुणाल सिंह ने बताया कि डिप्थीरिया जीवाणु जनित एक संक्रामक रोग है। इस रोग के लक्षण गले में झिल्ली बनना, सांस लेने एवं खाना निगलने में तकलीफ,सिरदर्द, आवाज में परिवर्तन, बुखार,गर्दन के आसपास सूजन, नाक से रक्त मिश्रित स्राव आदि हैं।

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समय से इलाज नहीं कराने पर हृदय एवं तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो सकते हैं। वहीं काली खांसी भी संक्रामक बीमारी है। काली खांसी में व्यक्ति हमेशा खांसता रहता है। इस वजह इसे कुकुर खांसी भी कहा जाता है। दो सप्ताह से अधिक दिनों तक खांसी रहने पर चिकित्सक से जरूर सलाह लेनी चाहिए। इस खांसी के कई लक्षण हैं, इसमें सांस लेने में तकलीफ और गले में घरघराहट शामिल है। उन्होंने टीकाकरण से संबंधित बेसिक जानकारी, टीकाकरण के दौरान क्या-क्या सावधानी बरतनी है, किन बच्चों को कौन-कौन सा टीका दिया जाना, ड्यू लिस्ट तैयार करने डेटा अपलोड करने सहित कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं। कार्यशाला में विभिन्न विकास खंडों से आए चिकित्सकों एवं पैरा मेडिकल स्टाफ , जिला सर्विलांस अधिकारी सहित समस्त ब्लॉक के चिकित्सा अधीक्षक, सहयोगी संस्था यूएनडीपी व यूनिसेफ के प्रतिनिधि और अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

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