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गैंगस्टर ने परिवार पालने के लिए 12 सौ रुपए में शुरू की थी नौकरी,अब प्रशासन ने जब्त की ढाई सौ करोड़ से ज्यादा की संपत्ति

गैंगस्टर ने परिवार पालने के लिए 12 सौ रुपए में शुरू की थी नौकरी,
गैंगस्टर ने परिवार पालने के लिए 12 सौ रुपए में शुरू की थी नौकरी,

लखनऊ। पुलिस कमिश्नरेट लखनऊ द्वारा गैंगस्टर पिता-पुत्र के द्वारा अवैध रूप से जुटाई गई 254 करोड़ से ज्यादा की चल अचल संपत्तियां जब्त की हैं। इनमें मेडिकल कॉलेज, डेंटल हॉस्पिटल, कॉन्वेंट कॉलेज के साथ ऑडी जैसी लग्जरी गाड़ियां शामिल हैं। पुलिस के अनुसार गैंगस्टर ने अपने परिवार के पालन पोषण के लिए 1988 में मात्र 1200 रुपए प्रति माह की नौकरी करनी शुरू की थी और फिर अपराध से धनोपार्जन कर देखते ही देखते वह अरबों का मालिक बन बैठा।

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कमिश्नरेट लखनऊ के अंतर्गत आने वाले थाना मड़ियांव के गांव घैला निवासी अजमत अली पुत्र महफूज अली व उसके बेटे इकबाल की संपत्तियां उत्तर प्रदेश गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 की धारा 14 एक के तहत राज्य के पक्ष में कुर्क की गई हैं। इन सभी संपत्तियों की कीमत 2 अरब, 54 करोड़,45 लाख ,2 हजार 951रुपए है। पुलिस ने गैंगस्टर की संपत्तियों में शामिल घैला गांव स्थित कैरियर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज एंड हॉस्पिटल के एकेडमिक ब्लॉक हॉस्पिटल ब्लॉक कैंपस, कैरियर पीजी इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंस एंड हॉस्पिटल के सभी एकेडमिक व हॉस्टल केंपस,ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र मुतक्कीपुर, दो मंजिला अधूरा निर्माण तथा सेक्टर 5 विकास नगर मैं अर्ध निर्मित कैरियर कान्वेंट कॉलेज को कुर्क किया है। इसके अलावा कई गांवों में गैंगस्टर ने जमीन खरीद रखीं थी। प्रशासन ने इन्हें भी कुर्क कार्रवाई में शामिल किया है।

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ट्रस्ट और खुद के नाम खरीदी लग्जरी गाड़ियां

गैंगस्टर ने स्वयं और अपने ट्रस्ट के नाम से ऑडी जैसी कई लग्जरी गाड़ियां खरीद रखी थी। कुर्क किए गए गैंगस्टर के वाहनों में सिटी लाइन बस, ऑडी कार , क्वायलिस, फॉर्च्यूनर, इनोवा आदि प्रमुख हैं। इसके अलावा गैंगस्टर एवं उनके परिजनों के नाम तथा ट्रस्ट के नाम से विभिन्न बैंकों में जमा 77लाख 35 हजार 530 रुपए भी जप्त किए गए हैं।

पैतृक संपत्ति से नहीं चल सकता था परिवार का गुजर-बसर

लखनऊ पुलिस के अनुसार अभियुक्त अजमत अली का जन्म बेहद साधारण परिवार में हुआ था उसका पालन पोषण उनके माता-पिता द्वारा सामान्य रूप से किया गया। अभियुक्त अजमत अली कई भाई-बहन थे और उसके पास पैतृक संपत्ति नाम मात्र की थी। इसके हिस्से में भी बहुत कम संपत्ति थी जिससे परिवार का गुजर-बसर नहीं चल सकता था। इसलिए आज मैं अपने परिवार के पालन पोषण हेतु वर्ष 1988 से निसार अली नामक व्यक्ति के यहां 1200 रुपए प्रति माह में नौकरी करना शुरू किया था।

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