औरैया। हम आप जिस तरह एक पुत्री को उसके जन्म से लेकर शादी होने तक उसकी परवरिश करते हैं, उसकी देखरेख करते हैं, उसको पढ़ाते लिखाते और एक बेहतर जीवन के संस्कार देते हैं ठीक उसी प्रकार हमें एक पौधे को पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करनी चाहिए। यह बात रखने की इसलिए जरूरत है क्योंकि अक्सर लोग कहते हैं कि पेड़ लगाने से हमें क्या मिलेगा।
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तो हम उन्हें बताना चाहेंगे कि पौधे हमें ही नहीं अपितु हम प्राणियों के अतिरिक्त विभिन्न जीवों, कीट-पतंगों व पशु-पक्षियों का जीवन और शरणस्थली हैं। यह बात राष्ट्रीय युवा पुरस्कार विजेता नेहा कुशवाहा ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कही है। नेहा ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गाँव बालिक पुर्वा निवासी मथुरा प्रसाद को उनकी माता सुंदरा देवी की याद में लगाने के लिए अमरूद का पौधा सौंपा। साथ ही गाँव गहेसर निवासी जगदीश कुमार को उनकी माता सूरजमुखी की याद में अमरूद और दिलीप कुमार को उनके पिता श्याम सिंह की याद में हरसिंगार का पौधा सौंपकर सभी से पौधे को पेड़ बनने तक उसकी बेहतर देखभाल करने की अपील की।