भारत में किशोरों के लिए पहला टीका परीक्षण सफल
नई दिल्ली। भारतीय औषधि नियामक प्राधिकरण(डीसीजीआई) ने देश में 12 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए जायडस कैडिला की विश्व के पहले डीएनए प्लेटफॉर्म आधारित कोविड -19 वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए शुक्रवार को मंजूरी दे दी।
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सरकारी सूत्रों ने यूनीवार्ता को बताया कि विषय विशेषज्ञ समिति ने गुरुवार को एक बैठक में जायकोवी-डी की वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी के लिए अनुशंसा की थी।
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जायकोवी-डी स्थानीय रूप से उत्पादित कोविशील्ड और कोवैक्सिन के अलावा रूस के स्पूतनिक वी, अमेरिका की मॉडर्ना, और जॉन्सन एंड जॉनसन के बाद देश में स्वीकृत कोविड -19 टीकों के एक बड़े पोर्टफोलियो में जोड़ा गया छठा वैक्सीन बन गया है।
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जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ रेणु स्वरूप ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि भारत ने दुनिया का पहला डीएनए कोविड -19 वैक्सीन तैयार किया है। उन्होंने कहा, “ हमें विश्वास है कि यह भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर में एक महत्वपूर्ण टीका होगा। यह हमारे स्वदेशी वैक्सीन विकास मिशन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और भारत को कोविड वैक्सीन विकास के वैश्विक मानचित्र पर रखा है।”
जायडस ने भारत में 50 से अधिक केंद्रों पर जायकोवी-डी के लिए नैदानिक परीक्षण किए, जिससे यह देश में इस तरह का सबसे बड़ा परीक्षण बन गया। स्वयंसेवकों में 12-18 आयु वर्ग के लगभग 1,000 बच्चे शामिल थे, जो भारत में किशोरों के लिए पहला टीका परीक्षण था।
अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल फर्म के मुताबिक उसकी सालाना 10-12 करोड़ खुराक बनाने की योजना है।