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पिता ने बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए साईकल से तय किया 105 किलोमीटर का सफर…भावुक हुए आईपीएस

लखनऊ: गरीब मां बाप अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए हर कोशिश करते हैं। दिन रात मेहनत मजदूरी करके अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाना चाहते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए एक गरीब परिवार के माता-पिता का एक ऐसा जज्बा जिसे देखने के बाद आपकी आंखें डबडबा जाएंगी। हर मां बाप चाहता है कि उसका बच्चा अच्छी शिक्षा पाए। इसका बेहतरीन लेकिन आंखें भर देने वाला नज़ारा मध्य प्रदेश के धार में दिखा। जी हाँ पेशे से मज़दूर एक बेबस पिता साइकिल पर 105 किमी का रास्ता तय कर बेटे को परीक्षा दिलाने पहुंचा। पिता के अंदर बेटे को पढ़ाने का यह जज्बा देख हर किसी की आंखें भर आई।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी की वजह से प्राइवेट गाड़ियां कम चल रही है। जिस यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना के कारण बसें और सवारी गाड़ियां बंद हैं इसलिए पिता ने ये मुश्किल सफर साइकिल पर तय किया। पिता ने अपने बेटे को परीक्षा दिलाने के लिए 105 किलोमीटर का सफर साइकिल से ही तय कर दिया। यह वीडियो सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हुई जिसे देखने के बाद हर किसी की आंखें नम हो गई।

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पिता के इस संघर्ष को देखकर यूपी के आईपीएस अधिकारी नवनीत सिकेरा काफी भावुक हो गए, जिसके बाद उन्होंने अपने पिता को याद करते हुए फेसबुक पर भावुक पोस्ट लिखी। आईपीएस नवनीत सिकेरा लिखते है, ‘ये खबर देखी तो आंखे डबडबा गई अब से कुछ दशक पहले मेरे पिता भी मुझे मांगी हुई साईकल पर बिठा कर IIT का एंट्रेंस एग्जाम दिलाने ले गए थे। वहां पर बहुत से स्टूडेंट्स कारों से भी आये थे , उनके साथ उनके अभिभावक पूरे मनोयोग से उनकी लास्ट मिनट की तैयारी भी करा रहे थे, मैं ललचाई आंखों से उनकी नई नई किताबों (जो मैंने कभी देखी भी नहीं थी) की ओर देख रहा था और मैं सोचने लगा कि इन लड़कों के सामने मैं कहां टिक पाऊंगा और एक निराशा सी मेरे मन में आने लगी..

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नवनीत सिकेरा आगे लिखते हैं मेरे पिता ने इस बात को नोटिस कर लिया और मुझे वहां से थोड़ा दूर अलग ले गए और एक शानदार पेप टॉक (उत्साह बढ़ाने वाली बातें) दी. उन्होंने कहा कि इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है नाकि उस पर लटके झाड़ फानूस पर, पिता किस बात ने मुझे जोश से भर दिया उन्होंने फिर एग्जाम दिया। परिणाम भी आया, आगरा के उस सेन्टर से मात्र 2 ही लड़के पास हुए थे जिनमें एक नाम मेरा भी था
ईश्वर से प्रार्थना है कि इन पिता पुत्र को भी इनकी मेहनत का मीठा फल दें।

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