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नहीं रहे मशहूर शायर राहत इंदौरी, पढ़े उनके द्वारा कहे गए कुछ फेमस शेर…

इंदौर: भारत के मशहूर शायर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। बता दें मशहूर शायर राहत इंदौरी को कोरोना वायरस से संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 10 अगस्त की देर रात उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। राहत इंदौरी के बेटे सतलज ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि राहत इंदौरी को इंदौर के ऑरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जो कि कोविड स्पेशल अस्पताल है। आज उन्हें एक के बाद एक 3 अटैक आए जिससे वह संभल न सके और इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

राहत इंदौरी अपने शायरी में ही पूरी कहानी कह दिया करते थे। उनके कई शायरी बेहद फेमस है। देखिए…

”बनके एक हादसा बाजार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वह अखबार में आ जाएग
चोर, उचक्कों की करो कद्र कि मालूम नहीं
कौन कब कौन सी सरकार में आ जाएगा

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ऐसा ही एक शेर उनका और भी है जिसे ‘राष्ट्रीय शेर’ कह देना अतिशयोक्ति नहीं होगी…

अगर ख़िलाफ़ हैं होने दो जान थोड़ी है.
ये सब धुआं है कोई आसमान थोड़ी है.
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहां पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है.
मैं जानता हूं के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरहा हथेली पे जान थोड़ी है.
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है.
जो आज साहिबे मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं ज़ाती मकान थोड़ी है.
सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में
किसी के बाप का हिन्दोस्तान थोड़ी है

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राहत इंदौरी द्वारा कहा गया यह शेर इतना फेमस हुआ कि हर किसी की जुबान पर छा गया। भारतीय कवियों के इतिहास में यह बहुत बड़ी क्षति हुई है। हिंदुस्तान का नक्शा शायर जिसने अपने अल्फाजों से लोगों के दिलों पर राज करता था। उनके द्वारा कहै गए शेर लोगों के जुबान पर रहता है। जब कभी शेरो शायरी की बात आती है तो सबसे पहला नाम राहत इंदौरी का आता है। राहत इंदौरी मुशायरों की दुनिया के सबसे कामयाब और मक़बूल शायर थे। वह उन शायरों में हैं जिनकी शायरी सिर्फ मुशायरों तक सीमित नहीं बल्कि मेरे आपके घरों में सांस लेती हुई मालूम पड़ती है।

राहत इंदौरी साहब का एक ऐसा शेर जो नौजवानों के दिलों पर राज भी राज करता है। जब कभी भी राहत इंदौरी साहब किसी मुशायरे में जाते थे तो वहां मौजूद लोग उनसे इस शेर को पढ़ने की अपील करते थे। यह शेर नौजवानों के जुबां पर हर वक्त रहता है। राहत इंदौरी साहब मुशायरे की दुनिया के बेताज बादशाह थे। उनके जैसा शायर कोई नहीं हो सकता। उनकी हर एक अल्फ़ाज़ में एक दर्द और बेपनाह मोहब्बत थी।

बुलाती है मगर जाने का नईं
वो दुनिया है उधर जाने का नईं

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