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परिवार नियोजन: महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी समझें जिम्मेदारी

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परिवार नियोजन: महिलाएं ही नहीं, पुरुष भी समझें जिम्मेदारी
  • थीम – आजादी के अमृत महोत्सव में हम लें ये संकल्प- परिवार नियोजन को बनाएंगे खुशियों का विकल्प
  • 11 से 24 जुलाई तक सेवा प्रदायगी जनसंख्या स्थिरता पखवारा

औरैया । छोटा परिवार खुशहाली का आधार है । बढ़ती महंगाई में सीमित परिवार रख कर बच्चों और परिवार को बेहतर भविष्य दिया जा सकता है । मातृ शिशु स्वास्थ्य को बनाए रखने में और मातृ शिशु मृत्यु दर को कम करने में परिवार नियोजन की अहम भूमिका है । यही वजह है कि जिन लोगों को परिवार पूरा हो गया है वह नसबंदी का स्थायी साधन अपना सकते हैं । पर परिवार नियोजन की जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं की नहीं है। अगर पुरुष भी इसे लेकर चिंतित रहें, समझें और जिम्मेदारी उठाएं तो जनसंख्या से जुड़ी कई समस्याओं से निपटा जा सकता है। परिवार नियोजन से जुड़ी चिंताओं पर बात करने के लिये ही हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसँख्या दिवस मनाया जाता है| इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य बढ़ती जनसँख्या पर ध्यान देना और परिवार नियोजन को लेकर चिंतन करना है।

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मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुनील कुमार वर्मा बताते हैं कि परिवार को नियोजित करने की मुख्य जिम्मेदारी आज भी महिला के ऊपर ही होती है| परिवार को नियोजित करने में अगर पुरुष भी जिम्मेदारी निभाते हैं तो इससे महिला का स्वास्थ्य भी बेहतर होगा, और योजना के अनुसार ही परिवार आगे बढ़ेगा। अगर परिवार बढ़ाने की योजना है तो तभी महिला गर्भधारण करेगी, बिना चाहे और बिना योजना के गर्भधारण से बचा जा सकता है। छोटा परिवार जीवन स्तर को बेहतर बना सकता है।

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अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी और परिवार नियोजन के नोडल डॉ शिशिर पुरी ने बताया कि 27 जून से 10 जुलाई तक दम्पति सम्पर्क पखवाड़ा मनाया गया है| साथ ही आज यानि 11 जुलाई से 31 जुलाई तक जनसँख्या स्थिरता पखवाड़ा मनाया जायेगा| उन्होंने बताया कि हर साल की भांति इस साल भी 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस आजादी के अमृत महोत्सव में हम लें ये संकल्प, परिवार नियोजन को बनाएंगे, खुशियों का विकल्प के साथ थीम के साथ मनाया जाएगा। इस दिवस को मनाए जाने का उद्देश्य जनसाधारण को सीमित परिवार के लाभों के बारे में जागरूक करने के साथ ही परिवार नियोजन को गति प्रदान करना है।

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जनपद के आंकड़े

एनएफएचएस 2019- 2021 के अनुसार 13.3 प्रतिशत महिलाओं ने महिला नसबंदी करके परिवार नियोजित किया था। वहीं, कंडोम 14.4 प्रतिशत पुरषों द्वारा ही प्रयोग किया गया | पुरुष नसबंदी में जिले का प्रतिशत लगभग शून्य है| जनपदीय परिवार नियोजन विशेषज्ञ ने बताया की इस वर्ष अप्रैल से लेकर जून तक 19 महिलाओं ने नसबंदी, 1233 ने पीपीआईयूसीडी, 976 ने आईयूसीडी, 1073 ने अंतरा और 2837 ने छाया जैसे गर्भ निरोधक तरीकों को अपना कर परिवार नियोजित किया है| उन्होंने कहा की इस दिवस को मनाने की शुरुआत 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) द्वारा की गई थी| 11 जुलाई 1987 को विश्व की जनसँख्या का आंकड़ा 5 अरब पार चुकी थी। बढ़ती हुई जनसँख्या की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए इस दिवस को मनाया जाता है|

– इस दिवस को मनाने के मुख्य उद्देश्य

  • युवाओं को अनचाही गर्भावस्था के बारे में जागरूकता पैदा करना
  • परिवार नियोजन के बारे में परिवारों को जागरूक करना।
  • समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता को दूर करना
  • यौन संक्रमण (एसटीआई/ एडस) के बारे में जागरूक करना
  • हर योग्य दम्पति को परिवार नियोजन की सुविधा उपलब्ध कराना

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