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डा रमा कांत यादव बने रहेंगे मेडीकल यूनिवर्सिटी सैफई के कार्यवाहक कुलपति

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डा रमा कांत यादव बने रहेंगे मेडीकल यूनिवर्सिटी सैफई के कार्यवाहक कुलपति
डा रमा कांत यादव बने रहेंगे मेडीकल यूनिवर्सिटी सैफई के कार्यवाहक कुलपति
  • शासन ने दी हरी झंडी, निरीक्षण से संतुष्ट थे मुख्यमंत्री
  • सैफ़ई मे प्रदेश का दूसरा चिकित्सा विश्वविद्यालय बन गया है

इटावा । इटावा सैफई मेडीकल यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति डॉ रमाकान्त यादव अभी कार्यवाहक कुलपति बने रहेंगे। शासन ने इसके लिए हरी झंडी दे दी है कुछ दिन पूर्व सूबे एक मुखिया योगी आदित्यनाथ के निरीक्षण में भी मेडिकल यूनिवर्सिटी पास हो गयी और व्यवस्था से मुख्यमंत्री खुश दिखे। 31 जुलाई तक अथवा नए कुलपति नियुक्ति होने तक रमाकांत यादव मेडिकल यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति बने रहेगें।

जब से डॉ रमाकांत यादव को सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी का कार्यवाहक कुलपति बनाया गया है तब से वह दिन रात सुबह शाम यूनिवर्सिटी के लिए एक किए हुए हैं वह सुबह 2 घंटे बाद शाम को 2 घंटे निरीक्षण कर रहे है और प्रत्येक मरीज का हाल-चाल लेने के लिए उनके बेड तक जा रहे हैं उनके निरंतर प्रयास से संस्थान में बदलाव हुआ है और मरीज भर्ती होना शुरू हुए हैं इससे पूर्व मरीजों को घंटों बाहर बिना इलाज के तड़पना पड़ता था और भर्ती नहीं किए जाते थे कई मरीजों की लौटते समय ही रास्ते में मृत्यु हो गई थी लेकिन अब सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी से कोई मरीज लौट नहीं रहा है।
देश के पूर्व रक्षा मंत्री व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के द्वारा अपने पैतृक गांव सैफई में स्थापित की गई मेडिकल यूनिवर्सिटी आज कोरोना महामारी के इस दौर में अपना महत्वपूर्ण रोल प्ले कर रहा है। कोरोना की पहली लहर में 1110 और दूसरी लहर में 800 कोरोना संक्रमित इस विश्वविद्यालय में उपचार के बाद स्वस्थ होकर अपने घर जा चुके हैं।

तीसरी लहर से लड़ने की तैयारी में यूनिवर्सिटी प्रशासन 100 बेड वाले ​बच्चों के इंटेसिव केयर यूनिट का विस्तार कर रहा है। देश के दिग्गज समाजवादी नेता मुलायम सिंह यादव का एक सपना था कि वे सैफ़ई जैसे पिछड़े गाँव में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस सरकारी चिकित्सा संस्थान खोलेंगे। उन्होंने अपने इस सपने को वर्ष 2005 में मूर्त रूप दिया। तब वे उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री के पद पर आसीन थे। मुख्यमंत्री के तौर पर मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2005 में रूरल इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (रिम्स) के नाम से इस संस्था को स्थापित किया। इस चिकित्सा संस्थान को अपने पैतृक गांव सैफई में स्थापित करने के पीछे मुलायम सिंह यादव का यही मन्तव्य था कि अति पिछड़े इटावा, एटा, मैनपुरी, फर्रुखाबाद व कन्नौज जनपदों के मरीजों को गम्भीर से गम्भीर बीमारियों के लिये आगरा, कानपुर व मध्यप्र देश—ग्वालियर के मंहगे प्राइवेट अस्पतालों में न जाना पड़े। इस रिम्स के पहले निदेशक के रूप में ब्रिगेडियर टी. प्रभाकर की तैनाती की गई थी। माना जाता है कि टी. प्रभाकर मुलायम सिंह यादव के खास लोगों में अपना स्थान रखते थे।

सैफ़ई स्थित रूरल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) को वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल राम नाईक ने उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक 2015 को मंजूरी दी थी। इसके साथ ही सैफ़ई रिम्स, प्रदेश का दूसरा चिकित्सा विश्वविद्यालय बन गया। सैफ़ई रिम्स को विश्वविद्यालय में तब्दील करवाने में सूबे के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव व तत्कालीन कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव को काफी मेहनत करनी पड़ी थी। सूबे की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के गांव सैफ़ई स्थित रिम्स को विश्वविद्यालय बनाने का विधेयक वर्ष 2016 में विधानमंडल के दोनों सदनों में पास करवा लिया था, लेकिन जब इस विधेयक को मंजूरी के लिये राजभवन भेजा गया था, तब तत्कालीन राज्यपाल ने इसे रोक रखा था।
सूत्र बताते हैं कि राज्यपाल को इस विधेयक को पास करने में महज यह आपत्ति थी कि कुलाधिपति के पद पर मुख्यमंत्री को नामित न किया जाय। उस समय राजभवन ने अपनी आपत्ति पर यह तर्क दिया था कि सभी सरकारी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल ही होते हैं। राजभवन को लग रहा था कि मुख्यमंत्री के नामित होने से विश्वविद्यालय की स्वायत्तता प्रभावित हो सकती है। इन सबके बावजूद राजभवन ने इस विधेयक को वापस नहीं किया था, लेकिन अपनी मंजूरी भी नही दी थी, जिस कारण यह विधेयक काफी समय तक अटका पड़ा रहा। बताते हैं कि तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने राजभवन को अपने तर्कों से संतुष्ट किया तब राज्यपाल ने रिम्स को उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय बनाने की मंजूरी दे दी।

विश्वविद्यालय के कार्यवाहक कुलपति डॉ. रामाकांत यादव ने बताया कि उनके विश्वविद्यालय में न तो दवाओं की कमी है और न मरीजों के लिए बिस्तरों की कमी। जो मरीज आ रहे है विश्वविद्यालय से जारी आंकड़ों के अनुसार, कोविड की प्रथम लहर अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक यहां कुल भर्ती मरीजों की संख्या 1388 बतायी गयी है, जिसमें उपचारोपरांत कुल 1110 मरीज डिस्चार्ज किये गए हैं। इसी तरह से कोरोना की दूसरी लहर अप्रैल, 2021 से वर्तमान समय तक कुल 756 मरीज भर्ती किये गए, जिसमें उपचारोपरांत 445 मरीज डिस्चार्ज किये गए। गत 30 मई तक इस मेडिकल विश्वविद्यालय में भर्ती मरीजों की कुल संख्या 50 बतायी गयी है।

यहां के कार्यवाहक कुलपति डॉ. रमाकांत यादव बताते हैं कि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की संभावना है। शासन के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय में स्थापित 30 बेड के पीडियाट्रिक्स आईसीयू को भविष्य में बढ़ाकर 100 बेड का किया जाएगा। इसके अतिरिक्त विश्वविद्यालय परिसर में 50 ऑक्सीजनयुक्त बेड की स्थापना किये जाने का कार्य युद्धस्तर पर किया जा रहा है। कुल मिलाकर दिग्गज समजवादी नेता व देश के पूर्व रक्षा मंत्री मुलायम सिंह यादव के सपने ने मूर्त रूप लेकर इस कोरोना महामारी काल में, इस अति पिछड़े इलाके के लोगों के लिये संजीवनी बन गया है।

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