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डीएम हमीरपुर ने संस्कृत भाषा में सुनाया फैसला, नई पहल की शुरुआत

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डीएम हमीरपुर ने संस्कृत भाषा में सुनाया फैसला, नई पहल की शुरुआत

डीएम हमीरपुर ने संस्कृत भाषा में सुनाया फैसला, नई पहल की शुरुआत

  • आईएएस डॉ चंद्रभूषण त्रिपाठी संस्कृत भाषा के प्रति जागरूक करने में जुटे है

हमीरपुर। जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट में शुक्रवार को डीएम ने नई पहल की शुरुआत करते हुए गैर जाति के लोगों को जमीन बेचने के मामले से जुड़े फैसले संस्कृत भाषा में सुना कर एक नया इतिहास लिख दिया। जिला मजिस्ट्रेट डॉ चंद्र भूषण त्रिपाठी की कोर्ट ने एक मामले का फैसला संस्कृत भाषा में लिख कर अधिवक्ताओ के सामने सुनाया।हमीरपुर जिले के इतिहास में पहली बार इस तरह से निर्णय हुआ है। उत्तर प्रदेश में आमतौर पर सरकारी कामकाज में हिन्दी भाषा को उपयोग में लाया जाता है। जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट ने जिस मामले में संस्कृत भाषा में निर्णय दिया।

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उस मामले में संतोष कुमार पुत्र करन सिंह निवासी ग्राम गिरवर राठ जो अनुसूचित जाति का है। उसके पास कुम्हारिया गांव में 2.9250 हेक्टेयर कृषि भूमि है।किसान संतोष ने जिला मजिस्ट्रेड कोर्ट में बताया कि उसके ऊपर सरकारी कर्जा है और साथ ही बीमारी से तंग रहता है।जिसके कारण वह अपनी भूमि को दो हिस्सों में 0.4050 हेक्टेयर व 0.0930 हेक्टेयर गैर जाति के लोगो को बेचना चाहता है।जिससे वह बीमारी का इलाज करा सके और कर्जा भी निपटा सके।  जिसकी जांच राठ तहसीलदार व एसडीएम राठ से कराने के बाद संतोष कुमार बनाम सर्वकार मामले में जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सुनवाई बाद चार पेज का निर्णय संस्कृत भाषा में पारित किया।

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जानकारों के मुताबिक ब्रिटिश काल में जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट ने बहुत सारे मामलों के जजमेंट अंग्रेजी भाषा में तो दिए हैं।लेकिन संस्कृत भाषा में जजमेंट का यह पहला उदाहरण सामने आया है।शुक्रवार को जिला मजिस्ट्रेड डॉ चंद्रभूषण त्रिपाठी ने नई पहल की शुरुआत करते हुए उन्होंने पूरे आदेश को संस्कृत भाषा मे लिख कर सभी अधिवक्ताओं के बीच पढ़कर भी सुनाया गया। साथ ही पीड़ित को अपनी भूमि अनुसूचित जाति के लोगों को विक्रय करने की अनुमति भी दे दी।बताया जा रहा है कि जिला मजिस्ट्रेड चंद्र भूषण त्रिपाठी ने संस्कृत भाषा से पीएचडी किए हुए है।

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अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि यह निर्णय देकर अपने आप में एक इतिहास रचा गया है। जिला मजिस्ट्रेट न्यायालय में इससे पहले कभी भी संस्कृत भाषा में निर्णय पारित नहीं किये गए हैं। यह पहली बार है कि संस्कृत में आदेश पारित किया गया है। इससे संस्कृत भाषा प्रोत्साहित होगी। हम भी इस भाषा को जानने और समझने का प्रयास करेंगे। आमतौर पर निर्णय हिन्दी या अंग्रेजी में पारित किये जाते हैं। संस्कृत में निर्णय देकर एक सराहनीय पहल की गई है।

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