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दिबियापुर थानाध्यक्ष ने गोष्ठी आयोजित कर संभ्रांत नागरिकों को नये कानून का पढ़ाया पाठ

by Tejas Khabar
दिबियापुर थानाध्यक्ष ने गोष्ठी आयोजित कर संभ्रांत नागरिकों को नये कानून का पढ़ाया पाठ

दिबियापुर (औरैया)। केंद्र सरकार ने ब्रिटिश काल से चले आ रहे तीन आपराधिक कानूनों के स्थान पर सोमवार को नए कानून लागू कर दिए। जिसके संबंध में दिबियापुर थाने में संभ्रांत नागरिकों के साथ दिबियापुर थानाध्यक्ष मुकेश बाबू चौहान ने गोष्ठी आयोजित कर नए कानून के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नए कानून जहां एक ओर पीड़ितों को सुलभ व शीघ्र न्याय का मार्ग प्रशस्त करेंगे वहीं अपराधियों को उनके अपराध के अनुरूप कठोर दंड सुनिश्चित करेंगे। तीनों नए कानून आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने का काम करेंगे। नए कानून में जहां एक ओर कुछ अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा के प्रावधान को शामिल किया गया।

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वहीं कुछ अपराधों के लिए कम्युनिटी सर्विस की सजा का प्रावधान किया गया है। नए कानून में मुकदमे के शीघ्र निपटारे के लिए समय सीमा निर्धारित होगी वहीं कानून में फोरेंसिक साइंस के इस्तेमाल का भी प्रावधान होगा। नए कानूनों में जहां कुछ धाराओं को हटाया गया है। कई धाराओं में बदलाव किया गया है और नई धाराओं को जोड़ा गया है। भारतीय दंड संहिता में 511 धाराएं थीं। जबकि भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं है। इसी तरह दंड प्रक्रिया संहिता में और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर लागू होने वाले नए कानूनों भारतीय नागरिक न्याय संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम में नई परिभाषाओं के साथ धाराओं को बढ़ाया गया है।

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भारतीय न्याय संहिता में पहली बार कम्युनिटी सर्विस को दंड में शामिल किया गया है इसका मकसद छोटे अपराधों को करने वाले अपराधियों को समाज सेवा करने का दंड देना है। जिससे उन्हें अपने अपराध का अहसास हो और जेल में कैदियों की संख्या पर भी नियंत्रण रहे। आपरा​धिक मामलों में अब आईपीसी की जगह पर बीएनएस का प्रयोग किया जाएगा।

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