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गंगा दशहरा पर यमुना में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

गंगा दशहरा पर यमुना में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

गंगा दशहरा पर यमुना में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

इटावा। ज्येष्ठ माह शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाए जाने वाले गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं ने गुरुवार को यमुना नदी के अलावा नहरों में हर-हर गंगे बोलकर आस्था की डुबकियां लगाई और दान पुण्य किया। नगर पालिका परिषद एवं यमुना सफाई अभियान के ब्राण्ड एम्बेसडर आकाशदीप जैन ने यमुना नदी में आचमन करते हुए कहा गंगा और यमुना हमारी धार्मिक नदियां हैं जिन की आरती एवं पूजा कर हमारी धार्मिक भावनाओं की पूर्ति होती है। आज प्रदूषण की बजह से यमुना नदी घाट छोड़ दूसरे किनारे पर बह रही है इसलिये पालिका द्वारा नदी तक पहुंचने के लिए अस्थाई पुल बनाकर साफ सफाई की गई है। इस मौके पर लोगों ने फलों में तरबूज, खरबूजा और दशहरी आम जमकर खरीदे। इस दौरान पालिका के अधिकारी एवं कर्मचारियों के साथ व्यापार मंडल जिलाध्यक्ष आलोक दीक्षित सहित मंदिर के पुजारी आदि मौजूद रहे।

शरबत पिलाकर मनाया गंगा दशहरा का पर्व

शरबत पिलाकर मनाया गंगा दशहरा का पर्व

भारत विकास परिषद् मुख्य शाखा इटावा के तत्वावधान में गर्मियों में प्लेटफार्म नंबर 2व3 पर एक माह से निरंतर जल सेवा चल रही है। गुरुवार को शरबत पिलाकर गंगा दशहरा का पावन पर्व मनाया गया। शरबत वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित अमरनाथ बर्फानी सेवा समिति के सचिव बृजेश मिश्र ने भारत माता की छवि पर पुष्प अर्पित कर व शरबत वितरण कर शुभारंभ किया। उपस्थित सदस्यों ने वंदे मातरम का गायन किया इस अवसर पर भारत विकास परिषद के अध्यक्ष इंद्रायण पांडे ने मुख्य अतिथि को प्रतीक चिन्ह भेंट कर उनका सम्मान भी किया, भारत विकास परिषद के अध्यक्ष इंद्र नारायण पांडे ने कहा कि पापों से मुक्ति प्रदान करने वाले भगवतनाम, स्थान, काल या वस्तु को तीर्थ कहा जाता है।

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तीर्थों के तीन प्रकार हैं- जंगम, मानस एवं भौम। जंगम तीर्थ है भगवान के नाम का उच्चारण, कीर्तन, जप, भजन आदि के साथ-साथ वेदों व शास्त्रों का स्वाध्याय, मनन, चिंतन, श्रवण अथवा वाचन आदि। जबकि सत्य, दया, दान, तप, क्षमा, धैर्य एवं चित्त की शुद्धि मानस तीर्थ हैं और अयोध्यादि सप्तपुरियां भगवद्धाम, यहां तक कि समग्र भारतभूमि जिसका प्रत्येक अणु, रेणु तीर्थ है, के सहित साढ़े 33 करोड़ भौमतीर्थ पृथ्वी मंडल में अवस्थित हैं। इन सभी तीर्थों का समन्वित स्वरूप भगवती भागीरथी गंगा में समाहित है। क्योंकि तीर्थों की मूर्धन्या होने के कारण गंगाजी सर्वतीर्थमयी हैं। ये परमपुनीत मनोहर चरित वाली त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की साक्षात विग्रह रूप विधि हरिहरमयी हैं। आज उनकी पृथ्वी पर अवतरित पर्व के अवसर पर भारत विकास परिषद ने लोक कल्याण के लिए शरबत वितरण का कार्यक्रम किया है।

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ठस अवसर पर अत्रि दीक्षित-सचिव, बी के सिंह, हरिदत्त दीक्षित, डाक्टर पुष्प हास पांडेय, घन श्याम तिवारी,प्रो आर सी त्रिपाठी,ओम प्रकाश तिवारी, आशा राम मिश्रा ,के के त्रिपाठी, राजेश कुमार मिश्रा, राजीव अवस्थी, बृजेश कुलश्रेष्ठ, शैलेन्द्र सिंह राठौड़,ए पी एन दुबे, आदित्य प्रकाश त्रिपाठी ओम रतन कश्यप, रीना राठौड़,पूनम तिवारी, अर्चना सिंह चैहान, प्रतिभा रंजन मिश्रा,रामू राजपूत, राहुल राजपूत,जवाहर लाल पाण्डेय,शिवा राठौड़, सरोज यादव, अशोक कुमार यादव अतुल भार्गव वसुन्धरा राठौड़, सुकन्या राठौड़,देव राठौड़ सूर्यांश मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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