विवाह होते ही चारों तरफ से होने लगी फूलों की वर्षा
औरैया। शहर के चार किलो मीटर दूर स्थित देवकली मंदिर के पास आनंदम कृपा धाम में आयोजित सात दिवसीय श्री राम कथा के चौथे दिन बुधवार को कथा वाचक अंकुश तिवारी ने श्री राम विवाह कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि राजा जनक के दरबार में भगवान शिव का धनुष रखा हुआ था। एक दिन सीता ने घर की सफाई करते हुए उसे उठाकर दूसरी जगह रख दिया। उसे देख राजा जनक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि धनुष किसी से उठता नहीं था। राजा ने प्रतिज्ञा किया कि जो इस धनुष पर जो प्रत्यंचा चढ़ाएगा, उसी से सीता का विवाह होगा।
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उन्होंने स्वयंवर की तिथि निर्धारित कर सभी देश के राजा और महाराजाओं को निमंत्रण पत्र भेजा। एक-एक कर लोगों ने धनुष उठाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। गुरु की आज्ञा से श्रीराम ने धनुष उठा प्रत्यंचा चढ़ाने लगे, तो वह टूट गया। राजा जनक के दूत की सूचना पर राजा दशरथ भरत और शत्रुघ्न तथा गुरुदेव वशिष्ठ के साथ जनकपुर पहुंचते हैं। यहां भरत का विवाह मांडवी से, लक्ष्मण जी का विवाह उर्मिला से तथा शत्रुघ्न जी का विवाह श्रुतिकीर्तिका से होता है। इसके बाद धूमधाम से सीता व राम का विवाह हुआ। भगवान राम की कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो उठे। इस मौके पर कथा पंडाल में प्रसाद वितरण किया गया।