डेंगू को लेकर ग्रामीणों में दहशत
फफूंद । विकास खण्ड भाग्यनगर क्षेत्र के खोयला गाँव में डेंगू बुखार फैला हुआ है गांव में घर घर बुखार से पीड़ितों की चारपाइयाँ पड़ी हुई हैं । जिनको डेगूं बुखार की पुष्टि हो चुकी वे अपना इलाज प्राइवेट करा रहे है कुछ ऐसे भी बुखार पीड़ित है जिनकी जाँच नहींहों सकी आर्थिक तंगी के कारण वे झोला छाप डॉक्टर से दवाई ले रहे है । डेंगू को लेकर गाँव मे दहशत है कई ग्रामीण शहर के अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे है।
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ब्लाक भाग्यनगर क्षेत्र के राजस्व गाँव खोयला में डेंगू बुखार ने अपने पाँव पसार लिए हैं घर घर बुखार पीड़ितों की चारपाइयाँ पड़ी हुई है डेंगू के डर से ग्रामीणों में भय वयाप्त है।गाँव निवासिनी श्रीदेवी चालीस वर्ष की जाँच रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव आई है जिनका प्राइवेट इलाज चल रहा है वहीं अंश बाबू छः वर्ष पुत्र ह्रदय नारायण को भी डेंगू बुखार हुआ है इसका भी प्राइवेट इलाज चल रहा है । रामकिशन,रामबाबू,कांति देवी को बुखार आने पर प्राइवेट जाँच में डेगूं की पुष्टि होने पर इलाज चल रहा है । ग्रामीणों के अनुसार गाँव में और भी व्यक्ति डेंगू पीड़ित है जो बाहर अस्पतालों में भर्ती है जिनका इलाज चल रहा है।
गाँव निवासी रामबाबू ने बताया कि उसे डेंगू बुखार हुआ था सरकारी इलाज न मिलने के कारण पैसे के अभाव में उसने अपनी भैंस बेचकर इलाज करवाया।उसकी विवाहित बेटी चमेली जो गाँव में रह रही है उसको औऱ उसके चार बच्चों अवनी छः वर्ष,रिया तीन वर्ष,राजवीर दो वर्षतथा हिमांषु एक वर्ष को कई दिनों से बुखार आ रहा है,गरीबी के कारण जाँच नही करा सकी कही बाहर लेजाकर इलाज कराने के लिए पैसा नही है मजबूरी में झोलाछाप से इलाज कराना पड़ रहा है।गाँव खोयला मे बुखार के चलते ग्रामीणों में डेंगू की दहशत है । लोगों को बुखार आने पर डेंगू का डर सताने लगता है।सरकारी इलाज ग्रामीणों को नही मिल पा रहा है।
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बताते चलें कि विगत पांच अक्टूबर को गाँव में लगे जाँच केम्प में चार मरीज डेंगू बुखार से पीड़ित निकले थे टीम ने जांच रिपोर्ट तो पीड़ितों को दी लेकिन दवाई के नाम पर कुछ नही दिया था । बारह बुखार पीड़ितों की जाँच में चार डेंगू से पीड़ित निकले थे। राजस्व गाँव खोयला मे फैला बुखार जब चर्चा में आया तो 5 अक्टूबर को स्वास्थ विभाग की टीम जाँच के लिए गाँव पहुंची जाँच में बारह बुखार पीड़ितों के ब्लड सैम्पिल लिए गए |
जिसमें चार की रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव आई अनिल कुमार के दो बच्चे दिव्यांसु दस वर्ष,राम जी पाँच वर्ष तथा गुरुप्रसाद सत्तावन वर्ष व उसका पुत्र कमलेन्द्र प्रताप सिंह पच्चीस वर्ष थे स्वास्थ टीम जाँच रिपोर्ट तो ग्रामीणों को देने गाँव पहुँची लेकिन दवाई नही दी गई और न ही डेंगू पीड़ितों को ले जाकर सरकारी असपताल में भर्ती कराया गया। डेंगू पीड़ितों ने लाखों रुपये खर्च करके अपने बच्चों का प्राइवेट इलाज कराया।
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स्वास्थ विभाग ने ग्रामीणों को डेंगू से बचाव के लिए कोई जागरूकता मिशन भी नही चलाया। गाँव मे मात्र एक बार दवा का छिड़काव हुआ दोबारा छिड़काव भी नही कराया गया।स्वास्थ विभाग की टीम जाँच रिपोर्ट देने के बाद गाँव यह देखने नहींगई कि जिन डेंगू पीड़ितों की रिपोर्ट दी गई है उनका क्या इलाज चल रहा है गाँव मे बुखार पीड़ितों की संख्या कम हुई है या अधिक हो रही है,ग्रामीण अभी भी सरकारी मदद की आस लगाए बैठे है। किसी किसी घर के सभी सदस्य बुखार से पीड़ित है कोई खाना बनाने वाला भी नहींहै सब बुखार से पीड़ित है।