नई दिल्ली। दिल्ली स्थित उच्च शिक्षा संस्थानों में तंबाकू नियंत्रण कानूनों के संबंध में कुल अनुपालन दर केवल 45.8 प्रतिशत है। इस बात का खुलासा हाल ही में सर्वेक्षण में हुआ है। मौलाना आज़ाद इंस्टीट्यूट ऑफ डेंटल साइंसेज में सार्वजनिक स्वास्थ्य दंत चिकित्सा विभाग द्वारा किए गए सर्वेक्षण में राष्ट्रीय राजधानी के उच्च शिक्षा संस्थानों में तंबाकू नियंत्रण कानूनों के अनुपालन में ढिलाई पर प्रकाश डाला गया। दिल्ली स्थित उच्च शिक्षा के 60 संस्थानों को शामिल करते हुए सर्वेक्षण में ‘सीओपीटीए 2003’ तंबाकू नियंत्रण कानूनों के तीन प्रमुख प्रावधानों के तहत 45.8 प्रतिशत की समग्र अनुपालन दर का पता चला।
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सर्वेक्षण टीम का हिस्सा रहे प्रोफेसर विक्रांत मोहंती ने सर्वेक्षण के फोकस के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला और कहा कि इसमें सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर प्रतिबंध, तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन पर प्रतिबंध, और नाबालिगों को ऐसे उत्पादों की बिक्री की रोकथाम शामिल है। प्रोफेसर मोहंती ने कहा, “इस रिपोर्ट का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों के सामने आने वाली कमियों और चुनौतियों को इंगित करना है। यह सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी नीतियों और कार्यक्रमों के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है कि हमारी अगली पीढ़ी तंबाकू मुक्त हो।”
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सर्वेक्षण के निष्कर्षों का अनावरण आईपी विश्वविद्यालय के एनएसएस सेल द्वारा उनके द्वारका परिसर में आयोजित एक जागरूकता शिविर के दौरान किया गया। कार्यक्रम में बोलते हुए, कुलपति डॉ. महेश वर्मा ने मौखिक स्वास्थ्य के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “मुंह हमारे शरीर के लिए दर्पण के रूप में कार्य करता है। मौखिक जांच के माध्यम से कई बीमारियों की पहचान की जा सकती है, और जागरूकता मुंह से संबंधित बीमारियों को रोकने में काफी मदद कर सकती है। ।”