- साढ़े पांच लाख रुपया था ईनाम घोषित
- एए के 47 और भारी मात्रा में असलहा हुए बरामद
- डकैती की दुनिया में एंट्री करने वाले गौरी ने 2005 में अपना अलग गैंग बनाया था
चित्रकूट।आतंक के पर्याय रहे बीहड़ के खूंखार डकैतदस्यु गौरी यादव को एसटीएफ ने जिला चित्रकुट के बहिलपुरवा के जंगल में मुठभेड़ में मार आतंक के खौफ नाक मंजर के अध्याय का अंत कर दिया गया। एसपी एसटीएफ हेमराज मीणा ने गौरी यादव के मुठभेड़ में मारे जाने की पुष्टि की है। डकैत गौरी की मां रजनी देवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि हमेशा मेरे लड़के को एसटीएफ घर से ले जातीथी।एसटीएफ का ही बनाया डकैत एसटीएफ के हाथों मारा गया। रजनी देवी ने बताया कि मैंने अपने लड़के को 6 साल से नहीं देखा है।
यह भी देखें : अपहरण एवं बलात्कार के आरोपी पूर्व विधायक को उम्रकैद
डकैत गौरी के पास से एसटीएफ को ए के 47 और भारी मात्रा में असलहा बरामद हुआ है। बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के माधव बांध के पास डकैतों और एसटीएफ टीम के बीच मुठभेड़ हुई। 31 मार्च को इसी बांध के पास डाकू गौरी गैंग के 25000 के इनामी भालचंद को भी एसटीएफ और पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया था। ददुआ और ठोकिया के बाद डकैत गौरी यादव बीहड़ में बड़ा नाम बन चुका था। गौरी यादव काफी लंबे समय से भूमिगत चल रहा था।चार माह पहले अचानक ही इसने चित्रकूट के जंगलों में फायरिंग कर दहशत फैला दी थी।
यह भी देखें : मिर्जापुर में भीड़ ने चोर को पीट पीट कर मार डाला
करीब 20 साल पहले डकैती की दुनिया में एंट्री करने वाले गौरी ने 2005 में अपना अलग गैंग बनाया था। 2008 में ददुआ और कुछ दिन बाद ठोकिया के मारे जाने के बाद 2009 में गौरी यादव भी गिरफ्तार हो गया था। बाद में वह जमानत पर बाहर आ गया था।फरार डकैत गौरी के ऊपर उत्तर प्रदेश एंव मध्य प्रदेश शासन ने इस साल जुलाई में संयुक्त रूप से साढ़े पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। गौरी यादव पर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में हत्या, अपहरण, फिरौती तथा सरकारी काम में बाधा डालने के लगभग 50 मामलें दर्ज थे।
यह भी देखें : अब राजनीति नहीं, सिर्फ मां गंगा की ही सेवा करना है- उमा भारती
चित्रकूट जिले के बहिलपुरवा थाना क्षेत्र के बेलहरी गांव का निवासी था।उसकी तलाश में दोनों प्रदेश की पुलिस टीमें लगी थीं। डकैत गौरी ने मई 2013 में दिल्ली से मामले की जांच करने पहुंचे दरोगा की हत्या कर दी थी। इसके बाद मई 2016 में गोपालगंज में तीन ग्रामीणों को खंभे से बांधकर गोली मार दी थी। इसके बाद उत्तर प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी जावेद अहमद ने भी गौरी पर एक लाख रुपए का इनाम घोषित किया था आखिर वह पुलिस के हांथो मारा गया और बीहड़ में आतंक समाप्त हो गया .