देहरादून। ज्यादातर लोग इसी तथ्य से परिचित होंगे कि उत्तराखंड राज्य की राजधानी देहरादून को एक पर्यटन स्थल के रूप में ख्याति प्राप्त है। परंतु सत्य यह है कि देहरादून को भारत ही नहीं अपितु विश्व मानचित्र पर सर्वप्रथम “सैन्य नगर” अर्थात भारतीय सैन्य अकादमी के शहर के रूप में स्थान प्राप्त है तत्पश्चात एक पर्यटन स्थल के रूप में।
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सन 1932 में स्थापित तथा देशप्रेम , कठिन अभ्यास, शौर्य , अनुशासन, वीरता व साहस की पर्यायवाची यह सैन्य अकादमी प्रशिक्षण के माध्यम से अपने राष्ट्र की थल सेना को असंख्य वीर व देश की माटी हेतु बलिदान को सदैव तत्पर रहने वाले ऑफिसर्स देती आई है।इस सैन्य अकादमी में उत्तराखंड की माटी को प्रत्येक वर्ष भारतीय सेना हेतु “जेंटलमैन कैडेट्स” को प्रशिक्षण के माध्यम से ऑफिसर्स बनाने का सौभाग्य प्राप्त होता है। राष्ट्र की इस प्रतिष्टित अकादमी के सुनहरे इतिहास का चंद शब्दों में वर्णन करना यहां संभव न होगा।
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रविवार को भारतीय सैन्य अकादमी में 1 वर्ष से अधिक समय से प्रशिक्षणरत “जेंटलमैन कैडेट” की पासिंग आउट परेड हुई और “अंतिम पग” पार करते ही भारतीय सेना को लेफ्टिनेंट पद पर, हृदय में देश सेवा का भाव संजोये 319 नए युवा अफसर भारतीय थल सेना में शामिल हुए।इस अवसर पर तेजस खबर सभी युवा अफ़सरों व उनके परिवार को बधाई देता है। इस खास मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद पासिंग आउट परेड की सलामी लेने के लिए देवभूमि पहुंचे हुए थे।
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