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यूटा जिलाध्यक्ष की अवमानना याचिका पर न्यायालय ने बीएसए को किया नोटिस जारी

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यूटा जिलाध्यक्ष की अवमानना याचिका पर न्यायालय ने बीएसए को किया नोटिस जारी

यूटा जिलाध्यक्ष की अवमानना याचिका पर न्यायालय ने बीएसए को किया नोटिस जारी

  • हाईकोर्ट की चेतावनी-एक माह में अनुपालन कर नहीं दिया शपथपत्र तो होगी कार्यवाही

औरैया। बेसिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के प्रमुख संगठन यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के जिलाध्यक्ष ओमजी पोरवाल की सेवा समाप्ति के आदेश को गत 25 जुलाई को उच्च न्यायालय ने निरस्त कर दिया था,प्राथमिक विद्यालय सिखरना ब्लॉक औरैया के प्रधानाध्यापक ओमजी पोरवाल ने उच्च न्यायालय के आदेश के अनुपालन में विभाग में जॉइन कराने,नियमित वेतन देने तथा निलंबन अवधि के अवशेष भत्ते के एरियर के साथ ही उनके निलंबन से सम्बंधित प्रकरण की नए सिरे से जांच कराए जाने हेतु प्रार्थना पत्र बीएसए कार्यालय में रिसीव कराए थे लेकिन विभाग द्वारा न तो उनकी जॉइनिंग करवाई गई और न ही उन्हें नियमित वेतन व एरियर दिया गया,वहीं वर्तमान जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विपिन कुमार ने उसी जांच आख्या को आधार बनाकर शिक्षक ओमजी पोरवाल को अभ्यावेदन नोटिस निर्गत कर दिया जो जांच आख्या न्यायालय ने अपने आदेश में पूर्णतया नियमावली के विरुद्ध व दूषित मानते हुए विधिशून्य कर दी थी।

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शिक्षक ओमजी पोरवाल ने बीएसए द्वारा निर्गत अभ्यावेदन नोटिस को निरस्त करने की भी मांग की लेकिन बीएसए कार्यालय की मनमानी के चलते उनके जबाव व प्रार्थना पत्रों का संज्ञान तक नहीं लिया गया। यूटा के जिलाध्यक्ष ओमजी पोरवाल ने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका योजित कर अपने विद्वान अधिवक्ता राधाकांत ओझा व दिनेश तिवारी के माध्यम से कोर्ट को बताया कि वादी की शिकायत के आधार पर बीएसए कार्यालय का वरिष्ठ लिपिक विजिलेंस टीम ने रंगे हाथ गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था तथा वह लिपिक जमानत के आधार पर छूट कर आया और बीएसए कार्यालय में ही फिर से तैनाती पा लिया है सम्बन्धित प्रकरण में न्यायालय में अंतिम चरण पर सुनवाई चल रही है जिसमें शिकायतकर्ता की हैसियत से वह उचित पैरवी न करे इस हेतु दबाव बनाने के उद्द्देश्य से विभाग के अधिकारी व कर्मचारी षड्यंत्र के तहत उनका आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं और उच्च न्यायालय के आदेश की अवमानना कर उनको नियमित वेतन व लंबित एरियर का भुगतान नहीं कर रहे हैं।

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उच्च न्यायालय इलाहाबाद में अवमानना याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान अभिलेखों व साक्ष्यों के परिशीलन के फलस्वरूप न्यायमूर्ति मा.रोहित रंजन अग्रवाल ने प्रथम दृष्टया बीएसए विपिन कुमार द्वारा न्यायालय के आदेश की अवमानना किया जाना पाया है और उनको नोटिस निर्गत कर एक माह में इस आशय का शपथपत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया कि उनके द्वारा प्रकरण में न्यायालय के आदेश का भलीभांति अनुपालन कर दिया गया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि एक माह के इस अतिरिक्त समय में कोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कर शपथपत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है तो प्रतिवादी विपिन कुमार जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को सम्मन जारी कर आरोप तय की कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
यूटा के जिलाध्यक्ष ओमजी पोरवाल ने बताया है वे ऐसे संगठन के सिपाही हैं जिसका उदय बेसिक शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ने के लिये ही हुआ है और वे संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर के “भ्रष्टाचार मुक्त बेसिक शिक्षा” मिशन को आगे बढ़ाने के लिये अपनी पूरी टीम के साथ निरंतर संघर्ष जारी रखेंगे। वे विभाग की इस आर्थिक दमनात्मक कार्यवाही से विचलित होने वाले नहीं हैं।

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वहीं यूटा के मंडल अध्यक्ष नीरज राजपूत,जिला महामंत्री विनय वर्मा,वरिष्ठ उपाध्यक्ष आलोक बाबू गुप्ता सहित अन्य पदाधिकारियों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी से माँग की है कि वे अपने विवेक का प्रयोग कर कार्यालय में भ्रष्ट बाबुओं के कॉकस से बचें उनके कठपुतली बन शिक्षकों के अहित के लिये अपना प्रयोग न होने दें। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि कार्यालय के बाबू जरूरी पत्रों को पटल से गायब कर देते हैं ताकि बीएसए उनका संज्ञान ही ग्रहण न कर सकें और शिक्षकों के विरुद्ध कार्यवाही के मनमाने आदेश पारित हो जाएं और फिर उनकी आड़ में अवैध बसूली की जाए। उन्होंने कार्यालय स्तर पर उच्चाधिकारियों के आदेशों के अनुपालन न होने व विभागीय उच्चाधिकारियों के आदेशों के क्रम में समयबद्ध आख्या न भेजने के चलते शिक्षकों को न्याय न मिल पाने की भी बात कही है।

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