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योगी सरकार की ताजपोशी: उत्तर प्रदेश से 2024 का चुनावी लक्ष्य साधने की पहल

योगी सरकार की ताजपोशी: उत्तर प्रदेश से 2024 का चुनावी लक्ष्य साधने की पहल
योगी सरकार की ताजपोशी: उत्तर प्रदेश से 2024 का चुनावी लक्ष्य साधने की पहल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को भारी बहुमत मिलने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की चुनाव पूर्व बनायी गयी चुनावी रणनीति पर मुहर लग गयी है। इससे उत्साहित भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने अब अगला कदम 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तरफ बढ़ा दिया है।

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योगी सरकार के शुक्रवार को शपथ ग्रहण के बाद राज्य मंत्रिमंडल की तस्वीर भावी रणनीति के स्पष्ट संकेत देती है। जानकारों की राय में नवगठित योगी मंत्रिमंडल में सभी क्षेत्रों में सभी वर्गों को साधने की भरपूर कोशिश की गयी है। क्षेत्रीय और सामाजिक समीकरणों काे ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री योगी और पार्टी नेतृत्व ने राज्य में केसरिया प्रभाव का दायरा बढ़ाने के मकसद से ही मंत्रिमंडल के गठन में कई नये प्रयोग भी किये हैं।

इसके तहत मंत्रिमंडल में अगड़ी और पिछड़ी जाति के चेहरों को अहम जिम्मेदारी दी है। सरकार के गठन से जुड़े पार्टी नेताओं की दलील है कि अब फायरब्रांड नेता और हिंदुत्ववादी छवि वाले योगी और उनके साथ दो उपमुख्यमंत्रियों के रूप में केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक की टीम जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ सकेगी।

योगी सरकार में अनुभव, जाति, संगठन और अन्य दलों से आये दिग्गजों को तरजीह देकर पार्टी ने ‘सबका साथ-सबका विकास’ का संदेश देने का प्रयास किया है। अपने-अपने क्षेत्र में प्रभावशाली पहुंच वाले नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह देने का मकसद 2024 के लोकसभा चुनाव की जीत के लक्ष्य को साधना है। यकीनी तौर पर योगी मंत्रिमंडल के ऊपर पार्टी को केन्द्र में मोदी सरकार की 2024 में वापसी की हैट्रिक लगाने का रिटर्न गिफ्ट देने की जिम्मेदारी है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि यह तभी संभव है, जब हर मतदाता तक पार्टी की पहुंच को सुनिश्चित किया जाये। इसके लिये तय की गयी रणनीति के तहत हिंदुत्व के पोस्टर बॉय योगी अब सिर्फ विकास की ही बात करेंगे। हिंदुत्व के एजेंडे का संदेश जनता में बिना कुछ कहे उनकी छवि से ही प्रसारित हो जाएगा। अगड़ी और पिछड़ी जातियों को साधने के लिये पाठक और मौर्य को योगी के दो हाथों की तरह काम करने की जिम्मेदारी दी गयी है।

गौरतलब है कि जातीय समीकरणों को संतुष्ट करने के लिये 52 सदस्यीय योगी मंत्रिमंडल में सात ब्राह्मण, सात क्षत्रिय विधायकों सहित कुल 21 सवर्ण मंत्री बनाये गये हैं। इसके अलावा पिछड़ी जातियों के 20, नौ दलित एक सिख और एक मुस्लिम को मंत्री बनाया गया है। वर्ष 2017 में योगी सरकार के 47 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 15 मंत्री पिछड़ी जातियाें से थे। इसके अलावा 08 ब्राह्मण, 07 क्षत्रिय, 04 दलित, दो-दो भूमिहार व जाट, एक सिख, एक मुसलमान, एक कायस्थ और खत्री समेत अन्य जातियों के सदस्य को मंत्री बनाया गया था।

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योगी सरकार के पहले मंत्रिमंडल की तरह ही इस बार नये चंहरों में भी पिछड़ों में कुर्मी, मौर्य, निषाद, चौहान, गड़रिया, राजभर जातियों की भागीदारी महत्वपूर्ण है। योगी मंत्रिमंडल में कुर्मी समाज की अधिक भागीदारी दिख रही है। वहीं, क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज से अगर देखा जाये तो नवगठित मंत्रिमंडल में पश्चिमी उत्तर प्रदेश से इस बार 23 लोगों को जगह दी गई है, जबकि पिछली बार यह आंकड़ा महज 12 ही था। जाहिर है कि प्रदेश के पश्चिम क्षेत्र को ख़ासी तवज्जो दी गयी है। इस बार पूर्वी उत्तर प्रदेश से 14 और मध्य यूपी से 12 लोगों को मंत्री बनाया गया है। वर्ष 2017 में पूर्वी उप्र से 17 और मध्य उप्र से 11 लोगों को मंत्रिमंडल में जगह दी गई थी।

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