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फिल्म पान सिंह तोमर ने इंटरनेशनल बाजार में दिलाई थी बीहड़ को पहचान

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औरैया: कभी लोगों के लिए आतंक का पर्याय बने जनपद औरैया के बीहड़ी क्षेत्र में आज शोक का माहौल व्याप्त है। क्योंकि यहां पर बनी फिल्म पान सिंह तोमर के हीरो की मौत की खबर पाकर लोग स्तब्ध है। बिहड़ी क्षेत्र के लोगों ने बताया पान सिंह तोमर फ़िल्म के बनने के बाद ही बीहड़ को उसकी की पहचान मिली थी और इंटरनेशनल बाजार में यमुना के क्षेत्र को देखने के लिए कई लोग आने लगे थे।


बॉलीवुड में इरफान खान के निधन ने सिने प्रेमियों को शोक में डुबो दिया तो कभी न थमने वाले चम्बल के बगावती पानी मे ठहराव सा ला दिया। क्योंकि चम्बल घाटी का इरफान भाई का रिश्ता जो है। कारण साफ है कि जिस चम्बल घाटी को बाहरी दुनिया भय और दहशत का जंगल मानती थी उसमे डाकुओं के बनने और बिगड़ने के पीछे सामंती जुल्मों और अत्याचारों की कहानी का सच जब इरफान ने पान सिंह तोमर के अभिनय के रूप में पर्दे पर रखा तो घाटी के दामन पर लगे दागो पर मरहम बन गया। यही भूमिका इरफान को घाटी के लोगों के दिलो दिमाग में न्यायिक नायक बना गयी। मूल रूप से मुरैना जिले के जिस बड़ौदा गांव की कटीली पगडंडियों पर चलने वाले नौजवान पान सिंह आर्मी जॉइन कर दुनिया के कई देशों में अपनी प्रतिभा का लोहा ही नहीं मनवाया बल्कि तमाम मेडल दिला कर देश का सिर ऊंचा किया तो यहां पर घर पर रह रहे परिजनों से भी संपर्क बनाए रखा। इसी दरमियान चंबल के मुट्ठी भर सामंत लोकतंत्र को लाठी से आंकने का काम बेधड़क होकर कर रहे थे। उन्हें रोकने के लिए सिस्टम यानि कि प्रशासन उनकी कदमताल करता था। यह सब देखने के बाद जब आर्मी मैन ने विरोध किया तो ऐसे में खूनी संघर्ष यहीं से शुरू हुआ। यहीं से शुरु होती है पान सिंह तोमर बनने की कहानी। ऐसे ही तमाम डाकुओं की कहानियां यहां की फिजाओं में घुली मिली हैं। फिल्म निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने मानवीय जीवन के इसके पक्ष को जब इरफान के अभिनय मैं बड़े पर्दे पर उतारा तो फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर सफलता की कहानी ही नहीं गड़ी बल्कि तमाम पुरस्कारों से भी से नवाजा गया।

लंदन में लगाए चार चांद


औरैया। फिल्म की स्क्रिप्ट में जहां आमतौर पर हिंदी के साथ साथ चंबल घाटी में आम बोलचाल की भाषा के देशज शब्दों को प्रयोग में लाया गया। जिससे यहां के काम और अनपढ़ लोगों ने भी फिल्म की मौलिकता को आसानी से समझ लिया। इरफान द्वारा कहे गए डायलॉगो में चंबल की पुरानी भाषा को भी स्थान दिया गया। 2 मार्च 2012 को रिलीज फिल्म पान सिंह तोमर ने अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह लंदन में प्रतिष्ठित फीचर फिल्म का अवार्ड भी हासिल किया।

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