- आरबीआई गवर्नर की प्रेस कॉन्फ्रेंस की खास बातें
- मोरेटोरियम को 31 अगस्त तक बढ़ाया गया
- कोरोना से अर्थव्यवस्था को नुकसान, नेगेटिव में विकास दर का जताया खतरा
- कोरोना से सर्विस सेक्टर को भारी नुकसान
- रिवर्स रेपो रेट में कटौती, ईएमआई में होगी कटौती, कर्ज होगा सस्ता
- तीन और महीने के लिए टली ईएमआई
नई दिल्ली: शुक्रवार को रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.40% की कटौती की घोषणा की है इससे ईएमआई कम हो सकती है। खास बात यह है कि मोरेटोरियम को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है, इसका मतलब यह है कि अब अगले 3 और महीने तक ईएमआई नहीं चुकाने पर लोन डिफाल्ट या एनपीए कैटिगरी में नहीं आएगा। बता दें कि कोरोना संक्रमण और लॉक डाउन के चलते के पहले ईएमआई से 3 महीने तक (31 मई तक की) छूट पूर्व में दी गई थी।इसे और बनाने की मांग की जा रही थी, अब इसे 3 महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है।
कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के मद्देनजर रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने पूंजी की उपलब्धता बढ़ाने और ब्याज दरों में कमी लाने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक गर्वनर शक्तिकांत दास ने नीतिगत दरों में कटौती की घोषणा की है। रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि नीतिगत रेपो दर में 0.40 प्रतिशत की कटौती की गई है, जबकि रिवर्स रेपो रेट में भी 40 बेसिस पॉइंट की कटौती करते हुए इसे 3.35% कर दिया गया है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने ब्याज दर में 0.40 प्रतिशत कटौती के पक्ष में 5:1 से मतदान किया। कोरोना वायरस के बढ़ते संकट की वजह से समिति की एक विशेष बैठक बुलाई गई। इसमें बहुमत के आधार पर लिए गए निर्णय की जानकारी देते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि समिति ने कोरोना वायरस की वजह से देश और दुनिया के हालात की समीक्षा की है
आरबीआई प्रमुख ने कहा कि कोरोना से सर्विस सेक्टर को भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि हालांकि महंगाई दर अभी भी 4 फ़ीसदी से नीचे रहने की संभावना है लेकिन लॉक डाउन के वजह से यह बढ़ भी सकती है।
ये भी देखें…कोरोना वारियर्स व देश के लिए गाया गीत हम भारत हैं
रेपो रेट कम होने से सस्ता कर्ज
रेपो वह रेट है, जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को कर्ज देता है। कर्ज की मांग बढ़ने पर बैंक रिजर्व बैंक से उधार लेते हैं। इसके लिए उन्हें निर्धारित ब्याज चुकाना होता है। रेपो रेट में कटौती का मतलब है कि बैंकों को रिजर्व बैंक से कम दर पर लोन मिलेगा।
आरबीआई जब रेपो रेट में कटौती करता है तो प्रत्यक्ष तौर पर बाकी बैंकों पर वित्तीय दबाव कम होता है। आरबीआई की ओर से हुई रेपो रेट में कटौती के बाद बाकी बैंक अपनी ब्याज दरों में कटौती करते हैं। इसकी वजह से आपके होम लोन और कार लोन की ईएमआई में कमी आती है। रेपो रेट कम होता है तो महंगाई पर नियंत्रण लगता है। ऐसा होने से देश की अर्थव्यवस्था को भी बड़े स्तर पर फायदा मिलता है। ऑटो और होम लोन क्षेत्र को फायदा होता है। रेपो रेट कम होने से कर्ज सस्ता होता है और उससे होम लोन में आसानी होती है।
बड़ी कर्जदार कंपनियों को फायदा
ऐसी कंपनियां जिन पर काफी कर्ज है उन्हें भी फायदा होता है क्योंकि रेपो रेट कम होने के बाद उन्हें पहले के मुकाबले कम ब्याज चुकाना होता है। आरबीआई के इस फैसले से प्राइवेट सेक्टर में इनवेस्टमेंट को बढ़ावा मिलता है। इस समय देश में निवेश को आकर्षित करना सबसे बड़ी चुनौती है। इनफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ता है और सरकार को इस सेक्टर को मदद देने के लिए बढ़ावा मिलता है। रेपो रेट कम होता है तो कर्ज सस्ता होता है और इसके बाद कंपनियों को पूंजी जुटाने में और आसानी होती है।