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प्राकृतिक संसाधन एवं आजीविका संरक्षण जागरूकता के लिए चलाया जा रहा अभियान

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प्राकृतिक संसाधन एवं आजीविका संरक्षण जागरूकता के लिए चलाया जा रहा अभियान
  • महिलाओं को आजीविका संरक्षण के लिए लगातार चलाई जा रही मुहिम
  • धरती पर रहने की मूल आवश्यकता जल ही जीवन है इसे संरक्षित करें-समिति सचिव रीना पांडे

औरैया। बुधवार को जनपद औरैया विकास खंड एरवाकटरा के गाँव सिंहपुर में प्राकृतिक संसाधन एवं आजीविका संरक्षण के लिए महिला जागरूकता अभियान अपेक्षा महिला एवं बाल विकास समिति द्वारा विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी मीडिया नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित किया गया। समिति द्वारा जनपद औरैया में प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण एवं महिलाओ की आजीविका संरक्षण के लिए लगातार जनपद में मुहिम जारी है। समिति जनपद में स्वयं सहायता समूह सदस्यों के माध्यम से हस्तक्षेप कर रही है। आज के अभियान में संदर्भ ब्यक्ति ने बताया कि धरती पर रहने की मूल आवश्यकता जल है जल के स्रोतों को किस प्रकार से दूषित किया गया है, साथ ही मनुष्य द्वारा की गई प्रकृति में दखल से कई क्षेत्रों में जल की उपलब्धता भी प्रभावित हो गई है। मनुष्य का शरीर में लगभग 70 प्रतिशत तो जल ही होता है।

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जल को लेकर हमारे देश ही नहीं बल्कि विश्व में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है।ौ हमारे देश में कुल जल का लगभग 76 प्रतिशत भाग मानसून के मौसम में बरसात से ही आता है प्रति व्यक्ति पानी की उपलब्धता 22 घन मीटर है अगले दो वर्षों में यह औसत घटकर 18 घन मीटर ही रह जाने का अनुमान लगया जा रहा है। इसलिए जल संकट से बचने के लिए वर्षा जल को अधिक से अधिक मात्रा में संग्रहण करके पानी को नदी नालों में जाने से रोकना होगा। घर में पानी के उपयोग में सतर्कता बरतनी होगी पेड़ों के अंधाधुंद कटाई तथा उपलब्ध पानी को प्रदूषित होने बचाने के लिए हम सबको संकल्पित होना होगा । वायु के बाद मानव शरीर के लिए जल का महत्व है जल से ही पृथ्वी पर हरियाली और जीवन है यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि जल ही जीवन है एक लोकोक्ति है कि जल है तो कल है। शास्त्रों में कहा गया है कि क्षिति जल पावक गगन समीरा, पाँच रचित अति अधम शरीरा।। तुलसीदास जी ने कहा है कि मानव शरीर मे जल का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है।

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जल प्रबंधन का सबसे महत्वपूर्ण उपाय यह है कि वर्षा जल का एकत्रीकरण भंडारण किया जाए खेतों में गाँव में वर्षा जल के भंडारण के लिए सोक पिट बनाए जाए और उपलब्ध पानी को प्रदूषित होने से बचाकर अधिक से अधिक उपयोग में लाया जाए। भू-जल के अनियमित बहाव को रोकने के कदम उठाए जाए घर में पानी उपयोग की सतर्कता बरती जाय । तभी हम भविष्य में जल संकट से बच सकते है और इस संकट से बचने के लिए समिति द्वारा जनपद में जागरूकता कार्यक्रम, गोष्ठी, सेमीनार, गाँव- गाँव बैठकों और लगातार अभियान के माध्यम से संदेश दिया जा रहा है। इस अवसर पर राम बेटी रुचि, विनीता, रीना, नीरज कुमारी, रजनी, मनोरमा, वीरेंद्र राजपूत, ॐ नारायण, सुमन सिंह, रागिनी आदि के सहित 80 लोग शामिल रहे।

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