छठ पर्व पर दिबियापुर क्षेत्र में दिखी पूर्वांचल की संस्कृति
औरैया। सोमवार तड़के उदयागामी सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पिछले 36 घंटे से चला रहा छठ पूजा का कठिन व्रत संपन्न हुआ। व्रती महिलाओं ने परिजनों के साथ घरों में बनाए गए कृत्रिम जल कुंड और नहर तट के किनारे छठ पूजा स्थल एवं दिबियापुर के गेल गांव के तरणताल पर जमा होकर भगवान भास्कर के सिंदूरी दर्शन करते हुए अर्घ्य देकर छठी मैया व भगवान सूर्य से सुख शांति एवं समृद्धि की कामना की। औरैया व दिबियापुर नगर में नहर तट पर व्रती महिलाओं ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया। औद्योगिक नगर दिबियापुर के विभिन्न संस्थानों में कार्यरत अधिकारियों कर्मचारियों में बड़ा वर्ग पूर्वांचल व बिहार के लोगों का है, और पिछले करीब डेढ़ दशक से यहां छठ पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है।
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इसके चलते यहां की माटी में हर साल छठ पूजा के मौके पर पूर्वांचल की संस्कृति जमकर हिलोरें मारती है। गेल गांव व एनटीपीसी परिसर में तरणताल पर छठ पूजा के सामूहिक आयोजन हुए।व्रती महिलाओं के यहां रविवार शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के बाद से सोमवार सुबह उदया गामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करने के लिए तैयारियां शुरू हो गई थी। मध्य रात्रि से ही लोग स्नान आदि करके सज धज कर भोर का इंतजार कर रहे थे । सुबह 5:00 बजे व्रती महिलाएं अपने परिजनों के साथ छठ पूजा सामग्री लेकर छठ पूजा स्थलों की ओर निकल पड़ी।
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पटाखों की गूंज के साथ लोग आकाश में भगवान भास्कर की रश्मियां निहारने के लिए अपलक थे। जैसे ही भगवान भास्कर ने पूरब की ओर से अपनी सिंदूरी लालिमा बिखेरी वैसे ही व्रती महिलाओं ने छठ मैया की पूजा के साथ सूर्य को अर्घ्य दिया और छठ मैया के गीत गाकर व्रत संपन्न किया। इस तरह आस्था, विश्वास ,समर्पण और पवित्रता का महाव्रत छठ पूजा हर्षोल्लास के साथ संपन्न हुई। दिबियापुर में निचली गंग नहर तट पर भी छठ पूजा हुई। गेल गांव में पूजा कमेटी की ओर से सभी के लिए प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया