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सावन के बचे तीन दिन आमतौर पर रूठे रहेंगे बदरा

सावन के बचे तीन दिन आमतौर पर रूठे रहेंगे बदरा

सावन के बचे तीन दिन आमतौर पर रूठे रहेंगे बदरा

लखनऊ। हरियाली और झमाझम बारिश के लिए जाने जाना वाला सावन का महीना इस साल उत्तर प्रदेश में लगभग सूखा ही रहा है। अब तक सामान्य से कम वर्षा का दंश झेल रहे घनी आबादी वाले राज्य में सावन के बचे चार दिन मानसून के बादल इक्का दुक्का स्थानो पर ही मेहरबान हो सकते है जबकि अधिसंख्य इलाकों में उमस भरी गर्मी लोगों का पसीना छुड़ा सकती है। मौसम विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश में 10 अगस्त तक राज्य में एक दो स्थानों को छोड़कर अन्य इलाकों में बारिश के आसार नहीं है जबकि 11 अगस्त को पूर्वी उत्तर प्रदेश के इक्का दुक्का स्थानाे पर गरज चमक के साथ भारी वर्षा का अनुमान है।

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उन्होने बताया कि 13 अगस्त को कुछ स्थानाे पर और 14 अगस्त को अधिसंख्य इलाकों में झमाझम बारिश की संभावना है। उन्होने बताया कि अगले दो दिनो तक आसमान में बादल छाये रहने और एक दो स्थानो पर बिजली चमकने और बारिश का अनुमान है। इस दौरान आद्रता का स्तर बढ़ने से चिपचिपी गर्मी लोगों को परेशान कर सकती है। इस बीच गोंडा से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश और बैराजों से पानी छोड़े जाने के बाद कर्नलगंज तहसील में घाघरा नदी सोमवार को खतरे के निशान को पार कर गयी है।

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एल्गिन ब्रिज पर नदी इस समय खतरे के निशान से 17 सेमी ऊपर बह रही है। नवाबगंज तहसील क्षेत्र में उफनायी सरयू नदी भी खतरे के निशान से मात्र तीन सेमी नीचे बह रही है। गौरतलब है कि एक जून से रविवार तक 238 मिमी औसत वर्षा हुई है जो सामान्य वर्षा 409 मिमी के सापेक्ष 58 प्रतिशत है। राहत आयुक्त रणवीर प्रसाद के अनुसार प्रदेश में एक जून से अब तक 238 मिमी औसत वर्षा हुई, जो सामान्य वर्षा 409 मिमी के सापेक्ष 58 प्रतिशत है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में सभी तटबन्ध सुरक्षित हैं, कहीं भी किसी प्रकार की चिन्ताजनक परिस्थिति नहीं है।

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बदायूँ में गंगा नदी, लखीमपुरखीरी में शारदा नदी व बाराबंकी में घाघरा नदी खतरे के जलस्तर से ऊपर बह रही है। प्रदेश के वर्षा से प्रभावित जिलों में सर्च एवं रेस्क्यू के लिये एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा पीएसी की 34 जिलों में 52 टीमें बचाव कार्य में तैनात की गयी है। श्री प्रसाद ने बताया कि 24 घण्टों में प्रदेश के 12 जिलों में 25 मिमी या उससे अधिक वर्षा दर्ज की गयी है। वर्तमान में लखीमपुरखीरी, कुशीनगर, मऊ, सीतापुर के 16 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं।

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