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इटावा सफारी में शेरों को कब्ज मुक्ति के लिये दी जा रही आयुर्वेदिक गोलियां

इटावा सफारी में शेरों को कब्ज मुक्ति के लिये दी जा रही आयुर्वेदिक गोलियां

इटावा। इटावा सफारी पार्क प्रबंधन ने पार्क के शेरों में कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक गोलियां देने का निर्णय लिया है।
पार्क के निदेशक डॉ.अनिल कुमार पटेल ने गुरुवार को यूनीवार्ता को बताया कि ऐसा देखा गया है कि सर्दी के मौसम और बढ़ती उम्र में शेरों को कब्ज की समस्या खड़ी हो जाती है और उन्हे मल त्याग करने में कठिनाई होती है। इन्हीं सभी समस्याओं को दृष्टिगत रखते हुए सफारी प्रबंधन ने आयुर्वेद का सहारा लिया है।

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विशेषज्ञ डॉक्टरों ने अपनी जांच में पाया है कि कभी कभी शेरों में भी कब्ज की समस्या होती है। इसलिए इटावा लॉयन सफारी में एशियाई शेरों को कब्ज होने की स्थिति में इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आयुर्वेदिक दवाएं देना शुरू कर दिया गया है । डॉ पटेल ने बताया कि पिछले डेढ़ साल में इसके अच्छे नतीजे सामने आए हैं। मेरठ में नवंबर माह में वन्यजीवों की सेहत और क्लाइमेट चेंज से उभरी चुनौतियों पर हुई कॉन्फ्रेंस में इस विषय पर रिसर्च पेपर भी पब्लिश किया गया। शेरों में कब्ज की समस्या तब आती है, जब उन्हें बाड़े में रखा जाए। इसकी दूसरी वजह बढ़ती उम्र भी होती है।
सफारी पार्क के डॉ.आर.के.सिंह ओर डॉ.रॉबिन सिंह यादव ने बताया कि कभी कभी कब्ज से शेरों में मेगाकोलन जैसी गंभीर बीमारी पनपती है। उन्हें मल त्याग में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

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शुरुआत में सभी शेरों को कब्ज से निजात दिलाने के लिए मीट में लिक्विड पैराफिन मिलाकर हर 15 वें दिन दिया जाता था, लेकिन कभी-कभी ये भी असर नहीं करता था। कुछ एलोपैथिक दवाएं दी गईं, लेकिन इनके अपने साइड इफेक्ट्स थे। इससे शेरों के शरीर से जरूरी मिनरल्स बाहर आने का खतरा होता था। इससे निपटने के लिए प्रयोग के तौर पर मीट के साथ बाजार में उपलब्ध आयुर्वेदिक दवाएं दी गईं। ये दवाएं कब्ज निवारण के लिए ही थीं। शेरनी को मीट के साथ 4-5 टेबलेट और शेर को 5-6 टेबलेट दी गईं। इसके साथ हर शेर-शेरनी को 10 ग्राम प्रोबायटिक्स और विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स की खुराक भी दी गई। भूख बढ़ाने के लिए पानी में मिलाकर एक सिरप पिलाया गया।

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48 घंटे बाद इसका अच्छा असर दिखने लगा। अगले कुछ दिनों में शेर सामान्य रूप से मल त्यागने लगे। शेरों का हाजमा दुरुस्त हो गया। पिछले करीब डेढ़ साल से इस प्रोटोकॉल का शेरों की देखभाल में इस्तेमाल किया जा रहा है। करीब 350 हेक्टेयर में फैली इटावा लॉयन सफारी में छोटे-बड़े मिलाकर 15 बब्बर शेर-शेरनियां हैं। शेरों का कुनबा बढ़ाने के बीच बिग कैट की सबसे बड़ी समस्या कब्ज की होती है। सफारी पार्क के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पटेल ने कहा कि सफारी में शेरों के विचरण के लिए बड़ी जगह दी गई है। इसके बावजूद बाड़े में रहने वाले या उम्रदराज़ शेरों के लिए हर्बल दवाओं का प्रोटोकॉल इस्तेमाल किया जा रहा है।

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