लॉकडाउन में भी महिलाओं ने पीपीआईयूसीडी को किया लॉक
औरैया: परिवार नियोजन स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसमें भी दो बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए कई तरह के अस्थायी गर्भ निरोधक साधन लाभार्थियों की पसंद के मुताबिक उपलब्ध हैं। इसमें एक प्रमुख साधन है पोस्टपार्टम इंट्रायूटेराइन कंट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) जो कि प्रसव के 48 घंटे के अंदर लगता है और जब दूसरे बच्चे का विचार बने तो महिलाएं इसको आसानी से निकलवा भी सकती हैं। अनचाहे गर्भ से लंबे समय तक मुक्ति चाहने वाली महिलाओं के बीच इस कोरोना काल में भी औरैया समेत कई जिलों में सबसे अधिक इसको पसंद किया गया।
स्वास्थ्य विभाग का जोर रहता है कि संस्थागत प्रसव के मुकाबले कम से कम 20 फीसद महिलाओं को जागरूक कर पीपीआईयूसीडी के लिए तैयार किया जाए। इस वित्तीय वर्ष 2020-21 की शुरुआत ही कोरोना के चलते लॉक डाउन से हुई, फिर भी प्रदेश के कुछ जिलों की महिलाओं ने संस्थागत प्रसव के तुरंत बाद इस विधि को अपनाने में खास दिलचस्पी दिखाई। हेल्थ मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम (एचएमआईएस) के 12 जून तक के आंकड़ों के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में 956 ने पीपीआईयूसीडी को अपनाकर प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया है।
जो संस्थागत प्रसव के मुकाबले 33.38 फीसद है। कानपुर मंडल के जनपद औरैया को प्रदेश में तीसरा व फर्रुखाबाद को छठा स्थान मिला है। औरैया में 1356 संस्थागत प्रसव के मुकाबले 359 महिलाओं यानी 26.47 फीसद, फर्रुखाबाद में 2573 संस्थागत प्रसव के मुकाबले 629 महिलाओं यानी 24.45 फीसदी ने पीपीआईयूसीडी अपनाया है। यह दोनों जिले प्रदेश में टापटेन में शामिल है।
छोटा परिवार सुखी परिवार में ही भलाई
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन,उत्तर प्रदेश की महाप्रबंधक, परिवार नियोजन डॉ अल्पना का कहना है कि लोगों को लगातार जागरूक करने का प्रयास रहता है कि छोटा परिवार,सुखी परिवार के नारे को अपने जीवन में उतारने में ही सभी की भलाई है। प्रदेश के जिन जिलों ने इस दिशा में अच्छा प्रदर्शन किया है, उनसे सीख लेते हुए अन्य जिलों को भी इस दिशा में बेहतर परिणाम देना चाहिए। उनका कहना है कि परिवार नियोजन में स्वास्थ्य विभाग और राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश के सभी जिलों में उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू) मदद कर रही है, जिसका प्रयास सराहनीय है ।
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आशा कार्यकर्ताओं व एएनएम की भूमिका सराहनीय
एसीएमओ परिवार कल्याण डा. शशिबाला सिंह का कहना है कि औरैया जनपद ने प्रदेश में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। परिवार नियोजन की योजनाओं और कार्यक्रमों को सही मायने में धरातल पर उतारने में आशा कार्यकर्ताओं और एएनएम ने भी अपनी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने वाली विधि पीपी आईयूसीडी में महिलाएं दिलचस्पी लेने लगी है। इसे लगवाने के बाद महिलाओं को किसी भी प्रकार की तकलीफ और नुकसान नहीं होता। एक बच्चा होने के बाद महिलाएं अगले बच्चे के जन्म में अंतराल रख सकती हैं।
क्या है पीपी आईयूसीडी
प्रसव के 48 घंटे के अंदर यानि अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले महिला आईयूसीडी लगवा सकती है। एक बार लगने के बाद इसका असर पांच से दस साल तक रहता है। बच्चों के जन्म के बीच अंतर रखने की यह लंबी अवधि की विधि बहुत ही सुरक्षित और आसान भी है। यह गर्भाशय के भीतर लगने वाला छोटा उपकरण है जो कि दो प्रकार का होता है। पहला कॉपर आईयूसीडी 380 ए, जिसका असर दस वर्षों तक रहता है। जबकि दूसरा कॉपर आईयूसीडी 375 जिसका असर पांच वर्षों तक रहता है।