- सैकड़ों साल पुराने कल्पवृक्ष पर संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने बांधे रक्षा सूत्र
- ग्रामीण क्षेत्र के लिए दुर्लभ कल्पवृक्ष को मानते हैं सौभाग्य का प्रतीक
- 2 साल पहले फंगस लगने से कल्पवृक्ष का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था
- ग्रामीणों ने पूजा अर्चना के बाद शासन से दुर्लभ धरोहर को संरक्षित करने की अपील की
महोबा। उत्तर प्रदेश में महोबा जिले के कबरई क्षेत्र में सैंकड़ो वर्ष पुराने जुड़वां कल्पवृक्ष के संरक्षण के लिए ग्रामीणों ने आगे आकर उसके तने पर रक्षासूत्र बांध शासन से इस दुर्लभ धरोहर को बचाने की अपील की है।
महोबा मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर सिचोरा गांव में रविवार को बच्चों ,महिलाओं व पुरुषों ने कल्पवृक्ष की विधिवत पूजा अर्चना की और उसे क्षेत्र के लिए सौभाग्य का प्रतीक बता इसकी हर सम्भव रक्षा का संकल्प लिया।
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गौरतलब है कि इस कल्प वृक्ष के एक तने में दो वर्ष पहले फंगस लगा था ,जिससे उसका वह भाग खोखला होकर कमजोर हो गया और आधा हिस्सा टूट कर गिर गया था। कल्पवृक्ष के नष्ट होने की घटना से ग्रामीण काफी परेशान थे। उन्होंने शासन को पत्र भेज इज़के संरक्षण की मांग भी की थी।
सिचौरा के किसान सचिन खरे ने बताया कि राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) लखनऊ के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक डा0 राम सेवक चौरसिया के दिशा निर्देशन में तने के अंदर दवा लगाई गई है और पालीथिन से उसे ढका गया है ताकि दवा बह न जाए। प्रशासन की ओर से कल्प वृक्ष के फंगस उपचार के लिए अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। हालांकि जिलाधिकारी सत्येन्द्र कुमार ने जरूर कृषि रक्षा इकाई की टीम भेजकर कुछ माह पहले फंगसग्रस्त तने में दवा का छिड़काव करवाया था लेकिन उससे कोई फायदा नहीं हुआ।
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कल्प वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधने सिचौरा पहुंचे बुंदेली समाज के संयोजक तारा पाटकर ने बताया कि शासन एक तरफ़ वन महोत्सव के तहत लाखों पौधे रोपित करवा रहा है, लेकिन सैकड़ों साल पुराने हमारे दुर्लभ वृक्षों की देखभाल के प्रति पूरी तरह उदासीन है। सिचौरा के कल्प वृक्ष को विरासत वृक्षों की श्रेणी में रखा गया है। अगर उसके फंगस का उपचार जल्दी नहीं किया गया तो ज्यादा समय तक उक्त दुर्लभ कल्प वृक्ष का जीवित रहना मुश्किल है। प्रशासन रोगग्रस्त कल्प वृक्ष के उपचार के लिए एनबीआरआई लखनऊ से विशेषज्ञों की टीम भी बुला सकता है।
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