मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही मस्जिद ईदगाह के बीच चल रही कानूनी लड़ाई में अब तक दायर किये गए वादों की श्रंखला में एक नया वाद और जुड़ गया है। इस वाद को चार अधिवक्ताओं ने मिलकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दायर किया है तथा इनमें से एक अधिवक्ता लंदन का निवासी है। लंदन निवासी अधिवक्ता प्रशांत कुमार, लखनऊ निवासी हर्ष वर्धन सिंह, नीलम सिंह, और दिल्ली निवासी रंजन कुमार राय ने मंगलवार को मथुरा में सिविल जज सीनियर डिविजन कोर्ट में एक वाद दायर किया था इसमें वादियों में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशवदेव,स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि कटरा केशवदेव को भी वादी बनाया गया है।
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इसकी जानकारी लंदन निवासी इस वाद के वादी एवं अधिवक्ता प्रशांत कुमार ने बुधवार को पत्रकारों को दी। यह निर्णायक मामला कृष्ण जन्मभूमि मंदिर और सटे शाही ईदगाह मस्जिद की भूमि के वास्तविक स्वामित्व और गहरे ऐतिहासिक महत्व को लेकर है। इस वाद के प्रतिवादी अध्यक्ष/चेयरमैन यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ, इंतजामिया कमेटी शाही मस्जिद ईदगाह, श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान एवं मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट हैं। प्रशांत कुमार ने बताया कि वादीगणों ने सिविल जज सीनियर डिवीजन से प्रार्थना की है कि वह 1967 के सिविल सूट 43 में सिविल जज मथुरा द्वारा 20-7-1973 और 7-11-1974 को दिये गए फैसले को रद्द करे तथा उस पर दिया गया निर्णय वादियों पर लागू नही होता है।
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उनका दावा है कि ढांचा कटरा केशवदेव की जमीन पर बनाया गया है इसलिए वादी नम्बर 1 और 2 यानी अध्यक्ष/चेयरमैन यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ, इतजामिया कमेटी शाही मस्जिद ईदगाह, को या उनके आदमियों को इस भूखण्ड में जाने से रोक लगाई जाय। इसी प्रकार के अन्य कानूनी मसलों को लेकर वाद दायर किया गया है। “ यह मुकदमा केवल संपत्ति की पुनः प्राप्ति से अधिक है। यह इतिहास की पुस्तकों को सही करने और पवित्र पूजा स्थल की खोई हुई गरिमा को पुनर्स्थापित करने की खोज है।’’
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कहते हुए प्रशांत कुमार, याचिकाकर्ताओं में से एक, जो मूल रूप से यूनाइटेड किंगडम से हैं, ने कहा “ हमने ऐसे प्रमाण प्रस्तुत किए हैं जो सुझाव देते हैं कि शाही ईदगाह को मूल मंदिर के ऊपर बनाया गया था जो इन पवित्र भूमि पर खड़ा था।’’ यह वाद मंगलवार को सिविल जज सीनियर डिवीजन मथुरा की अदालत में दायर किया गया था। अपने कारण के प्रति दृढ़ संकल्प के साथ, याचिकाकर्ता इस मामले को उसके उचित और न्यायसंगत परिणाम तक पहुंचाने के लिए तत्पर हैं, भगवान कृष्ण की प्रतिष्ठा और पवित्रता के अनुरूप एक मंदिर के निर्माण के लिए भूमि को पुनः प्राप्त करने की भी वे आशा करते हैं।अन्य वादों की भांति इस वाद की पत्रावली में अब हाईकोर्ट को भेजी जाएगी।