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प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ दिल को भी दुरुस्त रखेगा कन्नौज का इत्र

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ दिल को भी दुरुस्त रखेगा कन्नौज का इत्र

प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ दिल को भी दुरुस्त रखेगा कन्नौज का इत्र

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना के तहत कन्नौज के इत्र को वैश्विक पहचान दिलाने के लिये इत्र कारोबारियों ने दो ऐसे इत्र बनाए हैं जो खुशबू बिखेरने के साथ-साथ इसका इस्तेमाल करने वालों की सेहत का भी ख्याल रखेंगे। इत्र उत्पादकों का दावा है कि ये इत्र न सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएगा बल्कि दिल को दुरुस्त रखने के साथ कमजोरी को भी दूर करेगा। इत्र उत्पादक कन्नौज अतर्स के प्रबंधक पवन द्विवेदी ने ‘हिंद शामामा’ नाम से एक इत्र को लांच किया है।

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उन्होंने रविवार को बताया कि इस इत्र काे सुगंध के लिए शरीर पर लगाने के साथ खाया भी जा सकता है। इसका सेवन चाय के साथ किया जा सकता है। द्विवेदी का दावा है कि इसका इस्तेमाल करने से प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है, साथ में यह दिमाग को तरोताजा रखता है। उन्होंने बताया कि इसे प्राकृतिक फूलों के साथ करीब 35 जड़ी बूटियों, विभिन्न लकड़ियों, मसालों व तेल के मिश्रण से तैयार किया गया है। शामामा सबसे लंबे समय तक चलने वाले अतर इत्र में से एक है। यह संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर आदि खाड़ी देशों में व्यापक रूप से लोकप्रिय है। यह इत्र खासकर वर्ष के अधिकांश समय ठंडे वातावरण में रहने वाले लोगों के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होगा।

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इसके इस्तेमाल से सर्दी, खांसी की समस्या दूर होती है। इसकी महक करीब 12 घंटे तक रहती है। द्विवेदी ने बताया कि इस इत्र को बनाने में जम्मू कश्मीर के केसर संग जटामांसी, हिमाचल प्रदेश का कपूर कचरी संग देवदार की लकड़ी, राजस्थान की मिट्टी, गुजरात के कौड़ी लोबान, महाराष्ट्र के पचौली तेल, कर्नाटक के चंदन की लकड़ी, केरल का जायफल, इलायची, तमिलनाडू की लौंग, आंध्र प्रदेश के चंपा के फूल, उड़ीसा का केवड़ा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल का नागरमोथा, असम का पचौली तेल और सुगंधमंत्री जाटमांसी आदि का इस्तेमाल किया गया है।

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ओडीओपी योजना और आत्मनिर्भर भारत अभियान से प्रेरित होकर कन्नौज की कंपनी ‘शक्ति सैंडल वुड ऑयल डिस्टिलर्स एंड परफ्यूमर्स’ के प्रबंधक विवेक नारायण मिश्रा ने बताया कि ‘मेरी मिट्टी-75’ इत्र को आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर लांच किया गया। इस इत्र को पारंपरिक आसवन विधि द्वारा बनाया गया है। इसे 75 किलोग्राम मिट्टी की मदद से जल आसवन विधि द्वारा विकसित किया गया है। यह इत्र देश में पहली बार बनाया गया है। यह इत्र दिल की धड़कन को सामान्य रखने, बेचैनी, थकान, कमजाेरी में काफी लाभकारी है।

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