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विराट कोहली की फॉर्म में वापसी पर वनडे सीरीज में रहेगी सबकी नजर

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विराट कोहली की फॉर्म में वापसी पर वनडे सीरीज में रहेगी सबकी नजर

विराट कोहली की फॉर्म में वापसी पर वनडे सीरीज में रहेगी सबकी नजर

लंदन। शायद ऐसा सभी को लगता है कि 2019 विश्व कप फ़ाइनल हाल ही में हुआ है, लेकिन फ़ैक्ट यह है कि अगले साल एक और वनडे विश्व कप है। हालांकि इसकी तैयारियों की चर्चा अभी भी उतनी नहीं हो सकती। कई अन्य टीमों की तरह भारत को भी कुछ काम करना है। ओवल में मंगलवार से शुरू होने वाली तीन मैचों की सीरीज़ कुछ खिलाड़ियों को कुछ चीज़ें ठीक करने का अवसर प्रदान करेगी, जबकि अन्य खिलाड़ियों के लिए ऑडिशन होगा। क्या कोहली देंगे आलोचकों को जवाब?:आंकड़े सबके सामने है। ऐसा मान सकते हैं कि इस खेल का सबसे जुदा प्रशंसक भी जानता है कि तीन साल से कोई शतक नहीं आया है। लेकिन विराट कोहली के लिए एक बल्लेबाज़ के तौर पर यह पूरी तरह से अंत और निराशा नहीं है।

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एडिलेड 2020, चेन्नई 2021, ओवल 2021 और केपटाउन 2022 कुछ शानदार उदाहरण हैं। जब से उन्होंने पिछले साल कप्तानी छोड़ी है, हर पारी अपने साथ और भी अधिक खोज़बीन लेकर आई है।यहां तक ​​​​कि कोहली को लेकर किसी भी बाहरी बातचीत में काउंटर करने के लिए उनकी शतक रहित पारी को भूलने की संभावना नहीं है, जो अब 77 पारियों की हो गई है। उनकी पारियों का गहन विश्लेषण किया गया है। मानसिकता की इस हद तक छानबीन की गई है कि पूर्व खिलाड़ी और कोच उन्हें ब्रेक लेने के लिए एक स्वर में बोल रहे हैं, जो उन्हें भरपूर मिला है (बीसीआई का उचित फैसला है ये)।

लेकिन जो लोग मायने रखते हैं – रोहित शर्मा और राहुल द्रविड़ ने कोहली का समर्थन करना जारी रखा है। सभी कह रहे हैं, आगामी वनडे मैचों में फ़ॉर्म की बात करने वालों की बोलती बंद करने का और अपनी बल्लेबाज़ी और शतकों की चर्चा को वापस लाने का सबसे अच्छा मौक़ा हो सकता है, कुछ ऐसा जो आम बात थी जब 2015-2019 के बीच कोहली अपने सर्वश्रेष्ठ फ़ॉर्म में थे। रिकॉर्ड की बात करें तो कोहली ने अपनी पिछली 11 वनडे पारियों में छह अर्धशतक लगाए हैं।

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सूर्यकुमार बनाम अय्यर:टीम में जगह के लिए इस तरह की कड़ी प्रतिस्पर्धा श्रेयस अय्यर के लिए नई नहीं है, वह 2014 में भारत के अंडर -19 विश्व कप टीम में भी पहली पसंद के खिलाड़ी नहीं थे। लेकिन हक़ीकत यह है कि मिले मौक़ों में उन्होंने ज़्यादा ग़लती नहीं की है, वहीं शार्ट गेंद को संभालने के उनके तरीक़े जांच के दायरे में आ गए हैं। वह पिछले साल अपने जीवन के सबसे अच्छे फ़ॉर्म में थे जब कंधे की चोट ने उन्हें छह महीने के लिए बाहर करा दिया था। इस अवधि में उन्होंने अपनी आईपीएल कप्तानी खो दी। उनकी फ़्रैंचाइज़ी ने उन्हें रिलीज़ कर दिया, जिसे वो साल भर पहले उसके पहले आईपीएल फ़ाइनल में लेकर गए थे। जहां तक ​​मिडिल ऑर्डर का सवाल है, सूर्यकुमार, संजू सैमसन और अब दीपक हुड्डा उनसे भिड़ेंगे।

24 वनडे पारियों में 41 की औसत और 97 के स्ट्राइक रेट का मतलब है कि शुरुआती मैचों के लिए उनका स्वत: चयन होना चाहिए, लेकिन जगह के लिए प्रतिस्पर्धा ऐसी है कि उन्हें सूर्यकुमार जैसे कैलिबर के किसी खिलाड़ी को बाहर करने के लिए एक बड़े स्कोर की आवश्यकता होगी। रविवार को सूर्यकुमार की सबसे हालिया पारी एक अद्भुत टी20 अंतर्राष्ट्रीय शतक थी। अय्यर की तरह उन्होंने भी 50 ओवर के प्रारूप में अब तक हर मौक़े का फ़ायदा उठाया है। हालांकि मध्यक्रम का यह जंग स्वस्थ है।

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वनडे में हार्दिक की वापसी : उन्होंने गेंदबाज़ी में वापसी की है और टी20 में अब तक काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन क्या उनका शरीर लंबे प्रारूप की कठोरता के अनुरूप है? क्या ज़रूरत पड़ने पर वह 10 ओवर कर सकते हैं? प्रारूप का बदलना उनके वर्कलोड को कैसे प्रभावित करेगा? कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब हार्दिक पांड्या इस सीरीज़ में दे सकते हैं। उन्होंने जुलाई 2019 के बाद से केवल नौ वनडे मैचों में भाग लिया है, जिनमें से आख़िरी पिछले साल श्रीलंका में था जब वह शिखर धवन के नेतृत्व वाली दूसरे दर्ज़े की टीम का हिस्सा थे।

उन्होंने 2019 विश्व कप सेमीफ़ाइनल के दौरान आख़िरी बार एक पारी में 10 ओवर फेंके थे। तो निसंदेह आगे देखने के लिए बहुत कुछ है क्योंकि हार्दिक एक गेंदबाज़ के तौर पर भारत को एक नया आयाम और टीम संतुलन प्रदान करते हैं। प्रसिद्ध कृष्णा का हिट-द-डेक स्टाइल के साथ जा सकते हैं?:यहां तक ​​​​कि सबसे नरम सतहों पर प्रसिद्ध कृष्णा की ऊंचाई और रिलीज़ ने उन्हें ऐसी गेंद करने की अनुमति दी है जो बल्लेबाज़ों को अजीब तरह से पीछे धकेल सके। वह इसे 140 की गति से ऊपर एक उचित तेज़ी के साथ करते हैं। ये एक परफ़ेक्ट सीम के साथ सम्मिलित होते हैं जो गेंद को दोनों तरफ़ घुमाते हैं, जिससे वह कुछ सहायता के साथ सतहों पर और भी ख़तरनाक बन जाते हैं।

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कृष्णा ने इस साल की शुरुआत में वेस्टइंडीज़ के ख़िलाफ़ वनडे सीरीज़ में सफलता हासिल की थी और उन्हें उस तरह के गेंदबाज़ के रूप में तैयार किया जा रहा है जैसे भारत ने इशांत शर्मा में देखा था। बेशक़, वनडे ईशांत का सबसे पसंदीदा प्रारूप नहीं था, लेकिन कृष्णा ने दिखाया है कि अगर उनके साथ बने रहते हैं तो उनके पास करने के लिए काफ़ी कुछ है। उन्होंने अबतक सिर्फ़ सात वनडे मैच खेला है, लेकिन अब तक 16.42 की औसत और 4.84 की इकॉनमी से 18 विकेट ले चुके हैं। इंग्लैंड की विध्वंसक बल्लेबाज़ी लाइन-अप कड़ी परीक्षा ले सकती है।

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