मालदीव। भारत अलग-अलग समय अलग-अलग देशों से समझोता करते आया है। अमेरिका, रूस, चीन जैसे देशों से तो भारत ने अनेक बार समझोते किए हैं। चीन हर बार भारत के साथ नए समझौते करता है और फिर अपनी जुबान से फिसल जाता है, लेकिन भारत फिर भी नया समझौता करने को तैयार रहता है। अब भारत ने मालदीव के साथ समझौता किया है। मालदीव और भारत के रिश्तों में ऐसे भी मीठापन है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने मंगलवार को हुई शिखर वार्ता के बाद 6 समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। दोनों देशों के बीच क्षमता निर्माण, साइबर सुरक्षा, आवास, आपदा प्रबंधन और बुनियादी ढांचे में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। शिखर सम्मेलन के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि मालदीव को 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की अतिरिक्त लाइन ऑफ क्रेडिट प्रदान करने का निर्णय लिया गया है ताकि सभी परियोजनाओं को समय पर पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मैत्रीपूर्ण संबंधों में नया जोश आया है और नजदीकियां बढ़ी हैं।
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उन्होंने कहा, “कोविड महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद हमारा सहयोग एक व्यापक साझेदारी का रूप ले रहा है।” प्रधानमंत्री ने कहा कि हिंद महासागर में अंतरराष्ट्रीय अपराध, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का खतरा गंभीर है। उन्होंने कहा कि शांति के लिए भारत-मालदीव के बीच घनिष्ठ संबंध महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भारत-मालदीव साझेदारी न केवल दोनों देशों के नागरिकों के हित में काम कर रही है बल्कि यह स्थिरता का स्रोत भी बन रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत मालदीव की किसी भी जरूरत या संकट का सबसे पहले जवाब देने वाला देश रहा है और आगे भी करता रहेगा। साथ ही मालदीव के राष्ट्रपति सोलिह ने कहा कि हम आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता दोहराते हैं। उन्होंने कहा कि मालदीव भारत का सच्चा दोस्त बना रहेगा। सोलिह एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत के चार दिवसीय दौरे पर सोमवार को दिल्ली पहुंचे। मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के प्रमुख समुद्री पड़ोसियों में से एक है और पिछले कुछ वर्षों में रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्रों सहित समग्र द्विपक्षीय संबंधों में वृद्धि हुई है।