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नशा एक अभिशाप है इसे समाप्त करना ही होगा

नशा एक अभिशाप है इसे समाप्त करना ही होगा
नशा एक अभिशाप है इसे समाप्त करना ही होगा

नशा का सेवन बंद करें सभी लोग

औरैया। समाज कल्याण विभाग के सहयोग से अपेक्षा महिला एवं बाल विकास समिति द्वारा विकास भवन में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें नशा न करने व नशा न करने के लिए प्रेरित करने व समाज में लोगो को नशे से होने वाली बीमारियों के बारे में जागरूक करने की शपथ ली गयी। समिति की सचिव रीना पाण्डेय ने सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्था मुख्य रुप से ग्रामीण समुदाय में गरीब समुदाय की शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण, महिला आजीविका, किसान की दो गुनी आय, नशा उन्मूलन, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के मुद्दों पर विगत कई वर्षों से कार्य कर रही है। नशे को दूर भगाने के लिए किसी भी देश का भविष्य और देश की तरक्की समाज की महिलाओ और युवाओं पर टिकी होती है।

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देश की युवा पीढ़ी अगर गलत रास्ते चले जाए तो निश्चित तौर पर उनका जीवन अंधकार में चला जाता है। देश का युवा वर्ग को ज़िन्दगी के हर पहलु को जीने की इच्छा होती है। युवा वर्ग नशे को अपनी शान समझते है। युवा वर्ग शराब, गुटखा, तम्बाकू, बीड़ी, सिगरेट का नशा करते है। उनकी जश्न की पार्टी नशे के बगैर अधूरी है। आजकल युवा वर्ग और कई व्यस्क लोग भी सिगरेट या शराब का सेवन करते हुए नज़र आते है। उन्हें यह समझ नहीं आता की यह उनके लिए आगे चलकर हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकती है। युवा वर्ग के लिए नशा एक फैशन बन गया है।भारत में शराब और सिगरेट के निर्यात की वजह से करोड़ो रुपये मिलते है।

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लेकिन फिर भी सिगरेट के पैकेट्स पर ” नो स्मोकिंग ” लिखा रहता है। फिर भी लोग नशा करते है। नशे से मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक स्तर पर बुरा असर पड़ता है। कुछ लोग नशा करके घर पर आकर अपनी पत्नी से मार- पीट करते है। कम उम्र में नशा करने से आगे चलकर जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। नशे की लत के कारण व्यक्ति अपनी आर्थिक सम्पति लुटा देते है। निम्न स्तर के लोग अक्सर अपने दैनिक काम के पैसे शराब पीने में लगा देते है।

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जो लोग नशे की लत में पड़ जाते है, उन्हें लगता है की नशा करके उनके सारे दुखों पर पूर्णविराम लग जायेगा। कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य विकास अधिकारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि नशा समाज से दूर करने के लिए महिलाओ की अहम भूमिका है नशा को दूर करने के लिये महिलाये झगड़ा नही प्रेम और सहानुभूति से प्रेरित करे । कार्यक्रम में उपस्थित परियोजना निदेशक हरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि अगर व्यक्ति एक दिन 80 रुपये का नशा करता है तो महीने भर में जो पैसे नशे में व्यय होते है उतने में तो परिवार का दूध और गैस का खर्च हो सकता है इसलिए सभी को मिलकर फिजूल खर्च को बचाकर अपने आपको सामाजिक आर्थिक रूप से समर्थ हो सकते है।

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जिला समाज कल्याण अधिकारी ने कहा कि हम सभी नशे को दूर भगाना है, हम सबने यह ठाना है नशे को दूर भगाना है यह प्रयास सभी के एक होकर करने से ही सम्भव है । जिला अर्थ एवं संख्या आधिकारी ने कहा कि समाज से नशे को हटाने के लिए महिलाओ को एक जुट होना पड़ेगा महिलाओ को एक होकर नशे के खिलाफ आवाज उठानी पड़ेगी। जब आप सब नशे के विरोध में आवाज उठाएगी तो निश्चित रूप से बदलाव आएगा । इस कार्यक्रम में जनपद स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों के सहित जनपद के सभी विकास खण्ड के लगभग 20 गांव के 300 महिलाओ ने प्रतिभाग किया ।

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