लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के दोनों ओर सबसे लंबा सोलर पार्क विकसित कर रही है। यह सोलर पार्क करीब 1,700 हेक्टेयर में फैला होगा और इसे उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) की देखरेख में ‘बिल्ड, ओन एंड ऑपरेट’ (बीओओ) मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा। पिछले साल अगस्त में यूपीडा ने प्री-फिजिबिलिटी स्टडी के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट आमंत्रित किए थे, जिसके दौरान नौ संगठनों ने प्रेजेंटेशन दिए थे। इनमें से मेसर्स ग्लोबल एनर्जी अलायंस फॉर पीपल एंड प्लेनेट ने इस साल फरवरी में यूपीईआईडीए अधिकारियों को एक व्यापक रिपोर्ट सौंपी थी, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष प्रस्तुत किया गया था।
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रिपोर्ट के अनुसार, यूपीडा ने सोलर पार्क के लिए 1,700 हेक्टेयर भूमि आवंटित की है, जो इटावा से चित्रकूट तक 296 किलोमीटर लंबे बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के किनारे मुख्य कैरिजवे और सर्विस रोड के बीच स्थित है। भूमि की औसत चौड़ाई 15 से 20 मीटर के बीच है। इस क्षेत्र में सौर विकिरण प्रति वर्ग मीटर प्रति दिन 5 से 5.5 किलोवाट घंटा तक है। सौर पार्क विकसित करने पर 2,500 करोड़ से अधिक की लागत आने का अनुमान है। कंपनियों को 25 साल की लीज के आधार पर भूमि आवंटित करने का प्रावधान होगा।
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के दोनों ओर विकसित किए जा रहे सौर पार्क से 450 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकेगा, जो लगभग 1 लाख उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इटावा से चित्रकूट तक फैले व्यापक बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के साथ-साथ बांदा और जालौन में औद्योगिक गलियारा स्थापित करने के प्रयास भी चल रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री ने इस एक्सप्रेसवे के किनारे पीपल, पाकड़, बरगद, गूलर और नीम के 25,000 से अधिक पौधे लगाने का निर्देश दिया है। बुंदेलखंड औद्योगिक विकास प्राधिकरण लगभग 36,000 एकड़ में नोएडा जैसा एक नया शहर विकसित करने की अपनी पहल पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिसका लक्ष्य 2028 तक पूरा करना है।