- सेहुद गांव के ऐतिहासिक धौरा नाग मंदिर पर नाग पंचमी पर इस बार नहीं लगेगा मेला
- मंदिर से निकले लाखों बर्रों ने महमूद गजनवी के आक्रमण को कर दिया था विफल
औरैया। कोरोना संक्रमण के चलते इस बार जिले के दिबियापुर के निकट स्थित ऐतिहासिक गांव सेहुद के टीले पर स्थापित धौरा नाग मंदिर पर नाग पंचमी पर इस बार मेले का आयोजन नहीं होगा। नाग देवता के इस मंदिर की औरैया शहर आसपास के जनपदों में बड़ी प्रसिद्धि है। मंदिर को लेकर कहा जाता है कि जिस किसी ने इस मंदिर पर छत डालने की कोशिश की उसकी मौत हुई या उसे बड़े अनिष्ट का सामना करना पड़ा। नतीजतन आज तक मंदिर पर छत नहीं डाली जा सकी, यहां देवी देवताओं की भग्न मूर्तियों के ढेर को पूजा जाता है।लोगों की मान्यता है कि साक्षात नाग देवता मंदिर परिसर में बात करते हैं और वह यदा-कदा लोगों को दर्शन भी देते रहते हैं।
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खुले आसमान में विराजे हैं भगवान
इस मंदिर में छत न होना ये अपने आप में हैरान कर देने वाली बात है तो सच्चाई और भी भयानक । इस मंदिर में जिसने भी छत डलवाने की कोशिश की, छत तो गिर ही जाती है साथ ही साथ छत डलवाने वाले की मौत या उसका बड़ा अनिष्ट होता है। ये हकीकत है यहां के लोगों का कहना है कि गांव के ही एक इंजीनियर, जो लखनऊ में काम करते थे। इस मंदिर में छत डलवाने की कोशिश की तो उनके घर में 2 लोगों की मौत हो गयी । छत तो दूर की बात है, इस मंदिर से कोई समान नहीं ले जा सकता है। धौरा नाग मंदिर की सिर्फ यही खूबी इसे सभी मंदिरों से अलग करती है । यहां नागपंचमी के दिन आसपास के जनपदों से आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा विशेष पूजा अर्चना की जाती है, 2 दिन तक यहां मेला चलता है धनुष भंग , दंगल आदि का भी आयोजन होता है पर इस बार कोरोना संक्रमण के चलते यह सब आयोजन नहीं होगी केवल सोशल डिस्टेंसिंग के साथ श्रद्धालु मंदिर में दर्शन पूजा कर सकेंगे ।
ये मंदिर जितना प्राचीन है उतना ही इसके साथ घटने वाली घटनाएं भी दिल को दहलाने वाली होती है। कमरे की तरह दिखने वाला ये मंदिर देखने में ही अपने आप खींचता सा लगता है और जब इस मंदिर में अंदर पहुंचे तो वहां एक कोने में खण्डित पड़ी मूर्तिया तो हैरान करती ही हैं सबसे ज्यादा हैरान करती है इस मंदिर में छत का न होना।
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गजनवी के आक्रमण की गवाही देता है मंदिर
यूपी के औरैया जनपद के दिबियापुर थाना क्षेत्र के सेहुद ग्राम में एक टीले पर बने प्राचीन धौरा नाग मंदिर की अपनी अलग खासियत है जिसकी वजह से ये पहचाना जाता है। इस मंदिर में सदियों पुरानी मूर्तिया पड़ी है। जो 11 वीं सदी में मोहम्मद गजनवी के आक्रमण के समय मंदिरों के तोड़-फोड़ के सच को बयां करता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ये मंदिर कितना प्राचीन है। गांव के निवासी पूर्व प्रधानाचार्य धीरेन्द्र तिवारी बताते हैं कि इतिहास के अनुसार इस गांव में धौरा नाग मंदिर के साथ 200 से अधिक कुए गांव में मौजूद थे जिन पर प्रकाश के लिए रात्रि में टोंटे जला करते थे। महमूद गजनबी ने जब सेहुद पर आक्रमण किया तो धारा नाग मंदिर व इन्हीं कुओं से निकले लाखों बर्रों ने महमूद गजनबी की सेना पर धावा बोलकर उसे वापस लौटने को मजबूर कर दिया था। गांव में आज भी तमाम पुराने कुएं मौजूद हैं। करीब 10 साल पहले टीले की खुदाई में एक लाल पत्थर का करीब 5 क्विंटल का नादिया क्षतिग्रस्त मिला था जो आज भी गांव के पीछे पड़ा है।