- सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 का दूसरा चरण सोमवार से शुरू
- जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के छूटे हुए बच्चों व गर्भवती का होगा टीकाकरण
औरैया । जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के छूटे हुए बच्चों को 12 गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए जनपद में 11 सितंबर (सोमवार) से सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 का दूसरा चरण शुरू होगा। तीन चरणों में संचालित होने वाले इस टीकाकरण अभियान में शून्य से पांच वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को नियमित टीके और गर्भवती को टीडी के टीके लगाए जा रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील कुमार वर्मा ने बताया की दूसरे चरण में छूटे हुये पाँच वर्ष तक के कुल 7322 बच्चों व 1871 गर्भवती को टीकाकरण के लिए लक्षित किया गया है। उन्होंने बताया कि पहले चरण में लक्ष्य के सापेक्ष कुल 97% बच्चों और गर्भवती का टीकाकरण किया गया था ।
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साथ ही बताया की दूसरे चरण के लिए जनपद में शहरी क्षेत्र व ग्रामीण में कुल 807 टीकाकरण सत्र तैयार किए गए हैं। अभियान में प्रमुख रूप से मीजल्स रूबेला (एमआर) टीकाकरण के साथ ही “पाँच साल, सात बार छूटे न टीका एक भी बार” पर जोर दिया जायेगा । उन्होंने अपील की है कि जन्म से लेकर पांच वर्ष तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित भविष्य के लिए टीकाकरण वरदान की तरह है इसलिए सभी परिजन जन्म से लेकर पाँच वर्ष तक के सभी बच्चों और गर्भवती का टीकाकरण समय से कराएं।
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जिला प्रतिरक्षण अधिकारी व उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ राकेश सिंह ने कहा कि बच्चों का टीकाकरण करा कर उन्हें 12 जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकता है। इसमें टीबी, हेपेटाइटिस-बी, पोलियो, काली खांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस, हिब इंफेक्शन, निमोनिया, दस्त, खसरा व रूबेला और दिमागी बुखार आदि प्रमुख हैं। नियमित टीकाकरण न होने से बच्चे इनमें से किसी भी बीमारी का शिकार हो सकते हैं।
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उन्होंने कहा कि जनपद में प्रत्येक बुधवार और शनिवार को नियमित टीकाकरण सत्र चलाया जा रहा है। इसके बावजूद किन्हीं कारणों से कई बच्चे व गर्भवती टीकाकरण से छूट जाती हैं। इसी को लेकर सघन मिशन इंद्रधनुष 5.0 अभियान संचालित किया जा रहा है। टीकाकरण बच्चों व गर्भवती को गंभीर बीमारियों के साथ ही टीके से रोकी जा सकने वाली जन्मजात बीमारियों की जटिलताओं से बचाता है। इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। साथ ही बताया कि आईएमआई 5.0 का तीसरा चरण 9 से 14 अक्टूबर तक चलाया जाएगा। उन्होंने बताया की आशा कार्यकर्ता के माध्यम से घर-घर जाकर किए गए सर्वेक्षण (हेड काउंट सर्वे) के अनुसार माइक्रोप्लान तैयार हो चुका है ।