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निर्मला सीतारमण ने सेंगोल को बताया राष्ट्रीय खजाना

by Tejas Khabar
निर्मला सीतारमण ने सेंगोल को बताया राष्ट्रीय खजाना

चेन्नई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सेंगोल एक राष्ट्रीय खजाना है जिसका तमिलनाडु एवं भारत की आजादी से गहरा संबंध है। यह धार्मिक शासन की चोल परंपरा है। सेंगोल न्यायपूर्ण एवं निष्पक्ष शासन के लिए “आदेश” (तमिल में “आनाई”) प्रदान करता है। ‘सेंगोल’ भारत की स्वतंत्रता को दर्शाता है और यह अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इस सेंगोल को लोकसभाध्यक्ष के आसन के पास स्थापित कर तमिलनाडु एवं राज्य के लोगों को गौरवान्वित करेंगे और यह सेंगोल अगले 100 वर्षों के लिए भारत का प्रतीक होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इसमें कोई राजनीति नहीं है और लोकसभाध्यक्ष ने विपक्षी दलों के नेताओं को विधिवत आमंत्रित किया है।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि “’विपक्षी दलों को नए संसद के उद्घाटन का बहिष्कार करने वाले फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। जिन लोगों ने राष्ट्रपति की कड़ी आलोचना की अब वे उनसे नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग कर रहे हैं। कम से कम लोगों की भलाई के लिए विपक्षी दलों को इस उद्घाटन समारोह में शामिल होना चाहिए।” वित्तमंत्री ने इसके लिए तैयार की गई विशेष वेबसाइट पर भी प्रकाश डाला, जो भारत की स्वतंत्रता के लिए सेंगोल के महत्व और तमिलनाडु के साथ इसके संबंधों पर प्रकाश डालती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 14/15 अगस्त, 1947 की भावना को समाहित करते हुए सेंगोल को ‘अमृत काल’ के प्रतीक के रूप में अपनाएंगे। वह भारतीय इतिहास और संस्कृति में तमिलनाडु के योगदान को भी सम्मानित करेंगे।

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उन्होंने कहा कि सेंगोल एक राष्ट्रीय खजाना है जिसका तमिलनाडु एवं देश की स्वतंत्रता से गहरा संबंध है। यह धार्मिक शासन की चोल परंपरा है। सेंगोल न्यायपूर्ण एवं निष्पक्ष शासन करने के लिए “आदेश” (तमिल में “आनाई”) प्रदान करता है। वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए तमिलनाडु के 20 ‘आदिनामों’ को आमंत्रित किया गया है। गौरतलब है कि 1947 में अंग्रेजों द्वारा भारत को सत्ता हस्तांतरण को चिन्हित करने के लिए तमिलनाडु में निर्मित इस सेंगोल को पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को सौंपा गया था। इस पर अमल तिरुवदुथुरई आदिनम की सलाह पर किया गया था, जब स्व़ सीआर राजगोपालाचारी ने पंडित नेहरू के साथ परामर्श करने के बाद शैव संत के साथ इस विषय पर चर्चा की थी।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि, “इस कार्यक्रम में आदिनाम हिस्सा लेंगे, ओडुवर (शैव शास्त्रों एवं भजनों के विद्वान) शामिल होंगे और थेवरम का पाठ करेंगे। जब 1947 में इस सेंगोल को पंडित नेहरू को सौंपा गया था ,तब ओथुवर्गल ने कोलारू पथिगम का पाठ किया था।”

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