नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि सरकार ने आपदा प्रबंधन के प्रति एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है और इसे राहत-केन्द्रित, पूर्वचेतावनी-केन्द्रित, सक्रिय और पूर्व तैयारी-आधारित बनाया है। श्री शाह ने शनिवार को गुजरात के केवड़िया में ‘आपदा प्रबंधन’ पर गृह मंत्रालय की संसदीय परामर्शदात्री समिति की बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि पहले आपदा प्रबंधन के प्रति देश में सिर्फ़ राहत-केन्द्रित दृष्टिकोण होता था जिसमें जान-माल के नुक़सान को कम करना शामिल नहीं था, लेकिन मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस दृष्टिकोण में काफ़ी बदलाव आया है।
उन्होंने कहा कि पिछले आठ वर्षों में आपदा प्रबंधन के लिए बजटीय प्रावधान 122 प्रतिशत बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने पिछले आठ वर्षों में आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन को प्राथमिकता दी है। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि गृह मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के साथ मिलकर प्राकृतिक आपदाओं के समय कारवाई और राहत उपायों के समन्वय तथा लॉजिस्टिक्स और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
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गृह मंत्री ने कहा कि आपदा से प्राथमिक तौर पर निपटने के लिए स्थानीय स्तर पर शुरू की गई आपदा मित्र योजना में जनभागीदारी की भावना अति महत्वपूर्ण है क्योंकि जब तक जनता इससे नहीं जुड़ती तब तक आपदा प्रबंधन का काम नीचे तक नहीं पहुंचता। श्री शाह ने कहा कि भारत आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में विश्व में अग्रिम पंक्ति में है और 2047 में आज़ादी के सौ वर्ष पूरे होने तक भारत इस क्षेत्र में अपनी स्थिति और सुदृढ़ कर लेगा, इसके लिए केन्द्रीय गृह मंत्रालय, एनडीएमए और एनडीआरएफ़ पूरी तत्परता से प्रयासरत हैं। गृह मंत्री ने कहा कि नवीन तकनीकों, जैसे एसएमएस, मोबाइल एप और पोर्टल, के ज़रिए अर्ली-वॉर्निंग सिस्टम विकसित किया गया है जिससे लोगों तक समयपूर्व प्राकृतिक आपदा की चेतावनी पहुंचाई जा सके।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक चेतावनियों के अंतिम छोर तक प्रसार को सुदृढ़ करने के लिए पूरे देश में “कॉमन अलर्टिंग प्रोटोकॉल” परियोजना लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि सरकार के सफल प्रयासों की वजह से, गत वर्षों में आई विभिन्न आपदाओं के दौरान जान और माल की क्षति को न्यूनतम स्तर पर लाया गया है। उन्होने कहा कि इसके महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि वर्ष 1999 में आए सुपर साइक्लोन में लगभग 10,000 लोगों ने अपनी जान गंवाई थी, जबकि इसके विपरीत हाल में आए चक्रवातों में केवल कुछ लोगों ने ही अपनी जान गंवाई।
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केंद्रीय गृह मंत्री ने बताया कि राज्यों की ओर से अनुरोध की प्रतीक्षा किए बिना, गंभीर आपदा से प्रभावित होने वाले राज्यों में अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय टीम (आईएमसीटी) भेजी जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पहली बार शमन निधि गठित की गई है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 से 2025-26 की अवधि के लिए राष्ट्रीय आपदा शमन निधि के लिए 13,693 करोड़ रुपये और राज्य आपदा शमन निधि के लिए 32,031 करोड़ रुपये की निधियां भी आवंटित की है। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) का पूरे देश में सुदृढ़ीकरण, आधुनिकीकरण और विस्तार किया जा रहा है।