जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश में बाल विवाह न हो, इसके लिए राज्य सरकार का मजबूत संकल्प बताते हुए कहा है कि वह इस संबंध में कोई समझौता नहीं करेगी और राज्यपाल से विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 को सरकार को पुनः लौटा देने का अनुरोध किया जायेगा।
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श्री गहलोत सोमवार शाम को अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष्य में मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित राज्य स्तरीय समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बाल विवाह के सम्पूर्ण उन्मूलन के लिए राज्य सरकार दृढ़ इच्छाशक्ति से काम कर रही है। हमारा मजबूसत संकल्प है कि प्रदेश में बाल विवाह न हो और इस संबंध में कोई समझौता सरकार नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि विवाहों के अनिवार्य पंजीयन को लेकर उच्चतम न्यायालय के एक आदेश की भावना के अनुरूप ही राजस्थान विवाहों का अनिवार्य पंजीकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 लाया गया है। परन्तु बाल विवाह को लेकर जो गलत धारणा बन गयी है, तो हम बिल को राज्यपाल से अनुरोध करेंगे कि इसे सरकार को पुनः लौटा दें।
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उन्होंने कहा कि प्रदेश में बालिकाओं एवं महिलाओं को आगे बढ़ने के समान अवसर प्रदान करने के लिए सरकार प्रतिबद्धता से काम कर रही है। हमारा पूरा प्रयास है कि बालिकाएं एवं महिलाएं शिक्षित, स्वस्थ, समर्थ एवं सशक्त बनें और प्रदेश का नाम रोशन करें। श्री गहलोत ने कहा कि महिलाओं एवं बालिकाओं के उत्थान के लिए एक से बढ़कर एक कल्याणकारी योजनाएं संचालित की गई है।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं को माहवारी के दौरान स्वच्छता के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से सरकार ‘उड़ान योजना’ शुरू करने जा रही है, जिस पर 200 करोड़ रूपए व्यय किए जाएंगे। उन्होंने इस योजना की सफलता के लिए सभी वर्गों से सक्रिय भागीदारी निभाने का आह्वान भी किया।
समारोह में मुख्यमंत्री ने पैरालिंपिक में गोल्ड मैडलिस्ट निशानेबाज अवनी लेखरा तथा नौ साहसी बालिकाओं का सम्मान भी किया।