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मठ के सेवादारों और अन्य से सीबीआइ की पूछताछ जारी

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मठ के सेवादारों और अन्य से सीबीआइ की पूछताछ जारी
मठ के सेवादारों और अन्य से सीबीआइ की पूछताछ जारी

प्रयागराज । साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत के मामले की जांच के लिए शनिवार शाम करीब चार बजे केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआइ) की टीम श्रीमठ बाघंबरी गद्दी पहुंच गई।
सूत्रों ने बताया कि तीन गाड़ियों से पुलिस फोर्स के साथ सीबीआइ के आइजी विप्लव चौधरी, एएसपी के एस नेगी और उनकी टीम ने मठ पहुंचकर छानबीन शुरू की।

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सीबीआइ की एक टीम पहले महंत की समाधि स्थल पहुंचकर मुआयना किया तो दूसरी टीम मठ के अलग-अलग कमरे में गई। छतों पर पहुंची टीम ने मठ की भौगोलिक स्थिति का जायजा लेते हुए नजरी नक्शा बनाया। कई संतों से एक कमरे में घटना की जानकारी लेते हुए अनेक प्रकार सवाल किए। हालांकि उनसे क्या पूछा गया इस मामले में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी।

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सीबीआइ की दूसरी टीम सेवादार बबलू, सुमित और धनंजय से पूछताछ करती रही। सीबीआइ मुंशी बबलू को अपने साथ लेकर महंत के उस कमरे के बाहर ले गई, जहां उन्होंने कथित तौर पर आत्महत्या की थी। मठ की पहली मंजिल पर बने कमरों, छतों और पार्किंग स्थल, गोशाला समेत दूसरे स्थान का भी सीबीआइ टीम ने जायजा लिया। अभी भी टीम मठ संबंधित लोगों से पूछताछ कर रही है।

इससे पहले पुलिस लाइन में सीबीआइ ने एसआइटी से केस को ओवरटेक किया और फिर पुलिस लाइन के सभागार में अधिकारियों के साथ करीब साढ़े तीन घंटे तक बैठक की। इस दौरान पुलिस अधिकारियों से लेकर एसआइटी के अध्यक्ष एवं दूसरे सदस्यों से भी घटना के संबंध में जानकारी ली और कार्रवाई के संबंध में पूछताछ हुई।

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इस दौरान सीबीआइ की एक टीम के नैनी जेल पहुंचकर वहां कैद आनंद गिरि, आद्या तिवारी और उसके बेटे संदीप से भी पूछताछ करने का हल्ला मचा रहा। हालांकि जेल अधिकारियों ने सीबीआइ टीम के आने से मना कर दिया।

महंत नरेंद्र गिरि की लिखी आखिरी वसीयत बलवीर गिरि के नाम

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरि के वकील ऋषि शंकर द्विवेदी ने दावा किया है कि दिवंगत महंत ने अपने मठ की अंतिम वसीयत बलवीर गिरि के नाम लिखी थी। महंत नरेंद्र गिरि की तरफ से तीन वसीयतें लिखी गई थीं। आखिरी वसीयत 4 जून, 2020 को बलवीर गिरि के नाम लिखी गई थी और वही मान्य है।

उन्होंने बताया, “महंत नरेंद्र गिरि ने सबसे पहले 7 जनवरी, 2010 को बलवीर गिरि के नाम वसीयत की थी जिसे बाद में निरस्त कर दिया था। इसके बाद महंत जी ने 29 अगस्त, 2011 को आनंद गिरि के नाम वसीयत की। आनंद गिरि भी जब स्वछंदता से काम करने लगे, मठ के हित के खिलाफ काम करने लगे तो महंत जी ने 4 जून, 2020 को अपनी अंतिम वसीयत की जिसमें उन्होंने बलवीर गिरि को अपना एकमात्र उत्तराधिकारी बनाया।”

उत्तराधिकारी के निर्णय में अखाड़ा की भूमिका पर उन्होंने कहा, “बाघंबरी गद्दी का इतिहास और मठ के संविधान के मुताबिक, वसीयत से बनने वाला उत्तराधिकारी ही मान्य होगा। महंत जी के पास मूल कागजात थे और बाकी मेरे पास जो हैं, उसे मैं उपलब्ध करा सकता हूं।”
उन्होंने बताया कि इस मठ में जो व्यक्ति उत्तराधिकारी होता है, उसे स्वामित्व का अधिकार होता है। उसे जमीन सहित अन्य चीजें खरीदने बेचने का अधिकार होता है।

गौरतलब है कि गत सोमवार को अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि अपने श्रीमठ बाघंबरी गद्दी में अपने कमरे में मृत पाये गए थे। पुलिस के मुताबिक, उन्होंने कथित तौर पर फांसी लगाई थी। घटनास्थल पर मिले कथित सुसाइड नोट में बलवीर गिरि को मठ का उत्तराधिकारी घोषित किया गया है।

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