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झांसी के स्कूलों में सुबह बच्चे तो शाम को किसानों के लिए लगेगी पाठशाला

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झांसी के स्कूलों में सुबह बच्चे तो शाम को किसानों के लिए लगेगी पाठशाला
झांसी के स्कूलों में सुबह बच्चे तो शाम को किसानों के लिए लगेगी पाठशाला

सायं कालीन कक्षाओं में किसान पढेंगे खेती का पाठ

झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी में सरकारी स्कूलों में सुबह बच्चों तो शाम को किसानों को उन्नत खेती के तरीके समझाने के लिए पाठशाला लगायी जायेंगी।
उप कृषि निदेशक के. के. सिंह ने सोमवार को बताया कि भविष्य की बुनियाद रखने वाली पाठशालाओं में अब किसानों की क्लास भी लगेगी। सुबह बच्चे पढेंगे लेकिन ढाई बजे से शाम पांच बजे के बीच विशेषज्ञ भूमि के अनुसार खेती करने के साथ ही खाद, बीज और कम पानी में अधिक सिंचाई के टिप्स किसानों को देंगे। किसानों को बताया जायेगा कि कम लागत में वे कैसे उन्नत खेती कर सकते है।

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इसके लिये स्कूली संसाधनों का पूरा उपयोग किया जायेगा। बुन्देलखंड के अधिकांश किसान गेहूं की पैदावार करते है, जबकि परिस्थितियों को देखते हुये विशेषज्ञ यहां दहलन और तिलहन की खेती करने की सलाह देते है यही नही, अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये किसान अन्धाधुन्ध उर्वरक का इस्तेमाल करते है, जिससे भूमि की उर्वरक क्षमता प्रभावित हो रही है। इससे अधिक लागत में कम उत्पादन प्राप्त होता है और किसानों की आर्थिक स्थिति कमजोर होती जाती है।

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प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुना करने का संकल्प लिया है, जिसके लिये अनेक योजनायें चलाई जा रही है। प्रयासो के बावजूद बड़ा बदलाव न आता देख सरकार ने किसानों को दक्ष करने का निर्णय लिया है। इसके लिये सरकार ने ‘‘द मिलियन फार्मर स्कूल’’ का संचालन प्रारम्भ किया। ‘‘द मिलियन फार्मर स्कूल’’ के तहत प्रत्येक न्याय पंचायत की 2 ग्राम पंचायतों में पाठशाला आयोजित की जायेगी। जनपद में 64 न्याय पंचायत है। दो चरणों में 128-128 ग्राम पंचायतों में पाठशालायें आयोजित होगी। एक क्लास में 80 से 100 किसान ज्ञान प्राप्त करेंगे।

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‘द मिलियन फार्मर स्कूल’’ में सहकारिता, विपणन, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य पालन, रेशम, सौर ऊर्जा के साथ कृषि सम्बन्धी समस्त विभागों को शामिल किया जायेगा। अगर किसानों को किसी योजना का लाभ नही मिला है और वह पात्र है, तो उसकी समस्या का निराकरण भी पाठशाला में किया जायेगा।रबी व खरीफ सीजन में खुलने वाली किसान पाठशालाओं के लिये अलग से स्कूल नही खोला जाता है, बल्कि ग्राम पंचायतों की शासकीय पाठशालाओं का उपयोग किया जाता है। कृषि विशेषज्ञ किसानों को खेती के वह टिप्स देंगे, जिससे कम लागत में उन्नत खेती की जा सकेगी। किसानों को वातावरण, मृदा पस्थितियों के अनुसार फसलों का चयन करने की जानकारी भी दी जायेगी।

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