- बड़े कारोबारियों में गिनती होती है बुलंदशहर के गौभक्त जुबैद-उर-रहमान की
- दिवंगत मां हमीदुन्निसा खानम से विरासत में मिला है गाय सेवा का जुनून
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर जिले के चांदयाना निवासी पशु प्रेमी और गौभक्त जुबैद-उर-रहमान का गायों की सेवा का ऐसा जुनून है कि वह इसकी मिसाल बन चुके हैं।
रहमान ने चांदयाना में मधुसूदन गौशाला की स्थापना की है जो ऐसी 90 गायों और 16 बछड़ों का घर है, जिन्हें उनके मालिकों ने उपयोगी नहीं होने के कारण छोड़ दिया था। इन गायों मेें कुछ चोटों और भुखमरी का शिकार हो गयीं थी।
रहमान एक सफल कारोबारी हैं लेकिन गौशाला में हर सप्ताहांत गाय की सेवा करना उन्हें सुकून देता है। विशेष उपचार, प्यार भरी थपकियां, अतिरिक्त देखभाल के लिए वह जब इन मूक जानवरों को देखने जाते हैं तो गौपालक बन जाते हैं।
रहमान ने इस गौशाला के बारे में कहा कि उनका व्यवसाय ठीक चल रहा है और उनके पास किसी चीज की कमी नहीं है। मधुसूदन गौशाला खोलने के बाद उन्हें जो सम्मान और पहचान मिली है, वह अवर्णनीय है।
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उन्होंने कहा, “ गाय सेवा का जुनून मेरी दिवंगत मां हमीदुन्निसा खानम से विरासत में मिला है। उन्होंने चार से पांच गायों को पाला और सेवा की भावना से उनकी देखभाल की। मां हमेशा चाहती थीं कि उनका बेटा भी गायों की देखभाल करे और उनकी सेवा करे। वह गंगा नदी से भी प्यार करती थीं।”
श्री रहमान ने कहा,“ 2015 में अपनी मां के निधन के बाद उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए मैंने एक नियमित गौशाला की स्थापना की और उसका नाम कृष्ण के नाम पर रखा। पच्चीस गायों से शुरुआत की और आज 16 बछड़ों के अलावा यह संख्या 90 हो गई है। ”
उन्होंने कहा कि गौशाला की स्थापना के निर्णय से उन्हें कई लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा था लेकिन वह अपनी मां की तरह गंगा-जामनी सभ्यता में विश्वास रखते हैं।
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श्री रहमान ने कहा, “ कुछ लोग खुश थे और कुछ गुस्से में। इसने मुझे प्रभावित नहीं किया, क्योंकि मैं अलग तरह से सोचता हूं। मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं कुछ ऐसा करता हूं, जो हिंदू करते हैं। मुझे कुछ रिश्तेदारों से भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, लेकिन ज्यादातर लोगों ने काम की सराहना की।”
उन्होंने कहा कि गायों की सेवा करने से उन्हें अल्लाह का आशीर्वाद मिलता है और उन्हें सब कुछ देने के लिए यह अल्लाह के प्रति कृतज्ञता भर है।
श्री रहमान मानते हैं कि 100 से अधिक गायों की देखभाल करना महंगा है और इसे एक आत्मनिर्भर इकाई के रूप में चलाया जाना चाहिए। उन्होंने इस जगह को चलाने के खर्च को पूरा करने के लिए दूध देने वाली गायें भी लीं और इसे एक दुर्लभ उपक्रम के तौर पर विकसित कर रहे हैं।
श्री रहमान ने कहा कि दूध की बिक्री से एक लाख प्रति माह की आमदनी है और इससे गौशाला के खर्च निकल आते हैं।
उन्होंने कहा,“ हम गाय का दूध पीते हैं, हम इसे खाने के लिए कैसे मार सकते हैं और इसके खिलाफ एक कानून है और हमें कानून का पालन करना चाहिए।”
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उन्होंने कहा, “ हर त्योहार पर हम जरूरतमंदों को मुफ्त दूध देते हैं। इतना ही नहीं, क्षेत्र के किसी भी गरीब व्यक्ति की शादी के लिए भी दूध मुफ्त दिया जाता है। चूंकि हमारा उद्देश्य व्यवसाय नहीं है, हम ग्रामीणों को दूध और दूध उत्पाद देकर उनकी मदद भी कर रहे हैं। ”
उल्लेखनीय है कि गायों की रक्षा के उनके कृत्य ने मशहूर हस्तियों का भी ध्यान आकर्षित किया है और अब कई लोग उनकी इस मुहीम में उनका साथ दे रहे हैं।