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दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करना पड़ रहा भारी

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दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करना पड़ रहा भारी
दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करना पड़ रहा भारी

नदियों के जलस्तर में कमी तो आई पर दुश्वारियां बढ़ीं, कटान नहीं हो रही बंद , जनजीवन अस्त व्यस्त ,

फर्रुखाबाद।बांधो से पानी की मात्रा कम हो जाने से अब नदियों के जलस्तर में कमी तो आने लगी है पर इन क्षेत्रों में दुश्वारियां बढ़ गई है। मदद न पहुंचने से पीड़ितों का दर्द बढ़ रहा है तो वहीं अभी कटान से भी ग्रामीणों केा राहत नहीं मिली है।

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तटीय इलाकों में लोग नदी का जलस्तर कम होने के बाद राहत तो महसूस कर रहे हैं मगर उन्हें दो वक्त की रोटी की जुगाड़ करना भारी पड़ रह है। जलस्तर भी चेतावनी बिंदु के 50 सेंटीमीटर नीचे आ गया है। जलस्तर कम होने के बाद पीड़ितों के सामने मुसीबतों की भरमार आ गयी है।

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गंगानदी का जलस्तर घटकर 136.10 मीटर पर आ गया जो कि चेतावनी बिंदु से अब 50 सेंटीमीटर नीचे है। रामगंगा नदी का जलस्तर 134.65 पर है। जो कि अभी स्थिर है। नरौरा बांध से गंगानदी में 25925, हरिद्वार से 49755, बिजनौर से 28935 क्यूसेक पानी भेजा गया है।

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खोहरेली, रामनगर बैराज से 2450 क्यूसेक पानी पास किया गया है।कंपिल के तराई, शमसाबाद क्षेत्र के अलावा गंगापार और सदर तहसील के निचले इलाके के कई गांव में अभी तक लोगों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है।गंगा के जलस्तर में कमीं आने से कंपिल और शमसाबाद की तराई के अलावा गंगापार के क्षेत्र में कटान अभी तक नहीं रुका है। लोग कटान से भी दहशतजदा है।

गांव में अभी पानी भरा होने से लोगों के सामने अवागमन की समस्या है। सड़कें भी कई क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त हो गयी है।यहां पर जलभराव होने से लोग पैदल निकलने के लिए भी परेशान हो रहे हैं। जलभराव से संक्रामक रोग भी पनप रहे हैं। गांव में व्यापक पैमाने पर कैंप लगाने की आवश्यकता है मगर कैंप नहीं लग रहे है इससे संक्रामक रोग ब्रढ़ रहे हैं।इससे दिक्कतें इस कदर बढ़ी है कि लोग छोटे मोटे इलाज के लिए झोलाछापों की शरण मेें हैं। गांव में शुद्ध पानी को लेकर भी समस्या है। कई गांव में हैंडपंप पानी में डूब गए थे तो ऐसे में पानी भी उन्हें सही नहीं मिल पा रहा है।

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