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सर्वे: लोकप्रियता के मामले में योगी अव्वल,अखिलेश पीछे

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सर्वे: लोकप्रियता के मामले में योगी अव्वल,अखिलेश पीछे
सर्वे: लोकप्रियता के मामले में योगी अव्वल,अखिलेश पीछे

लखनऊ । वैश्विक महामारी कोरोना से निपटने की बात हो या फिर संगठित अपराध पर नकेल कसने अथवा महिला सुरक्षा को लेकर संवेदनशीलता का मसला हो, कुशल रणनीति के कारण सभी मोर्चो पर फतह हासिल कर देश दुनिया में वाहवाही बटोर रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य की जनता के बीच भी सर्वाधिक लोकप्रिय साबित हुए हैं।

कोरोना के दूसरी लहर के बाद एक निजी चैनल द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में योगी आदित्यनाथ सबसे अधिक लोकप्रिय मुख्यमंत्री के तौर पर उभर कर सामने आए हैं जबकि आश्चर्यजनक रूप से समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव इस मामले में तीसरे नंबर पर है वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती दूसरे स्थान पर हैं।

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46 फीसदी लोगों ने सीएम योगी के कामकाज को बेहतर कहा

मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामकाज को 46 फीसदी लोगों ने बेहतर कहा, वहीं 2007 से 2012 के बीच मुख्यमंत्री रहीं मायावती के कार्यकाल को 28 फीसदी लोगों ने और 2012 से 2017 के बीच मुख्यमंत्री रहे सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कार्यकाल को 22 फीसदी लोगों ने सराहा।

राज्य के सभी 75 जिलों में 12 से 22 जुलाई के बीच हुए इस सर्वेक्षण में 37 हजार 500 लोगों की राय दूरसंचार माध्यमों से ली गई जिनमें हर जिले के कम से कम 500 लोग शामिल थे। सर्वेक्षण में पता चला कि कोरोना से निपटने में किए गए उपायों को लेकर श्री योगी की भूमिका से 45 फ़ीसदी लोग बहुत अधिक संतुष्ट और 28 फ़ीसदी लोग कुछ हद तक संतुष्ट हैं जबकि 20 फ़ीसदी लोग योगी के कामकाज से खुश नहीं हुए।

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कोरोना संक्रमण काबू करने में सीएम की भूमिका सराहनीय

रिपोर्ट के अनुसार घनी आबादी वाले उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण को काबू करने में श्री योगी की भूमिका सराहनीय थी। उनके द्वारा विभिन्न जिलाें में किये गये ताबड़तोड़ दौरों से हालात तेजी से बदले और ट्रेस,टेस्ट और ट्रीट नीति की बदौलत राज्य में कोरोना काबू में आया। लोगों का मानना था कि अगर जुलाई के पहले हफ्ते में विधानसभा चुनाव होते तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 278 से 288 सीटें मिल सकती थी जबकि 43 फ़ीसदी वोट उसे मिलते।

मुख्यमंत्री के चेहरे को ही सबसे ज्यादा तवज्जो

अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मतदान का आधार पूछने पर 22 फीसदी लोगों का कहना था कि वह सबसे ज्यादा तवज्जो मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को देंगे जबकि 12 प्रतिशत लोगों ने सरकार के कामकाज के आधार पर वोट करने को प्राथमिकता माना वहीं 10 फ़ीसदी की नजर में पार्टी का कद अहम था। सर्वेक्षण में पता लगा कि अभी भी 64 फ़ीसदी ब्राह्मण भाजपा के साथ हैं जबकि ब्राह्मणों की दूसरी पसंदीदा पार्टी बसपा अथवा कांग्रेस है। ब्राह्मण मतदाता को लुभाने की रेस में सपा फिसड्डी साबित हुई है। दलित वोटरों के बीच बसपा 45 प्रतिशत समर्थन के साथ सबसे आगे है। दूसरे नंबर पर 43 फ़ीसदी दलित वोटर भाजपा के साथ जा रहे हैं।

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महिला सुरक्षा के मुद्दे पर 52 फ़ीसदी लोग योगी आदित्यनाथ पर भरोसा करते हैं जबकि 34 फ़ीसदी लोगों ने बसपा प्रमुख मायावती पर विश्वास जताया जबकि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का रिकॉर्ड 12 फ़ीसदी के साथ सबसे कम है।

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