Home » कल्याण सिंह के निधन पर 3 दिन का शोक, 23 को सार्वजनिक अवकाश

कल्याण सिंह के निधन पर 3 दिन का शोक, 23 को सार्वजनिक अवकाश

by
कल्याण सिंह के निधन पर 3 दिन का शोक, 23 को सार्वजनिक अवकाश
कल्याण सिंह के निधन पर 3 दिन का शोक, 23 को सार्वजनिक अवकाश
  • 89 साल की उम्र में मंदिर आंदोलन के नायक कल्याण सिंह का हुआ निधन
  • 4 जुलाई से एसजीपीजीआई लखनऊ में चल रहा था उपचार
  • नरौरा में गंगा तट पर 23 की शाम होगा अंतिम संस्कार

लखनऊ। राम मंदिर आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे और उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह के निधन पर उत्तर प्रदेश में 3 दिन का राजकीय शोक व 23 अगस्त को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया है। शनिवार रात 89 वर्ष की आयु में उनका निधन हुआ। गत 4 जुलाई को उन्हें एसजीपीजीआई में भर्ती कराया गया था। लंबी बीमारी और शरीर के कई अंगों के धीरे-धीरे फेल होने के बाद 2 दिन से उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। 23 अगस्त की शाम नरौरा में गंगा नदी के तट पर दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

यह भी देखें : यूपी में जल्द हो सकता है योगी मंत्रिमंडल का विस्तार,जानिए किन नेताओं को मिल सकती जगह

एसजीपीजीआई में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि दिवंगत मुख्यमंत्री के पार्थिव शरीर को रविवार को अलीगढ़ लेकर जाया जाएगा, जहां उनकी पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए अलीगढ़ स्टेडियम में रखा जाएगा। 23 अगस्त को उनकी पार्थिव देह को अतरौली लेकर जाएंगे, जहां उनके समर्थक और आमजन अंतिम दर्शन कर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। 23 अगस्त की शाम नरौरा में गंगा तट पर उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
किसान परिवार में हुआ था जन्म

यह भी देखें : ब्रिटेन और भारत के बीच स्वास्थ्य,रक्षा,शिक्षा आदि के क्षेत्रों में निवेश को बढ़ाया जा सकता है: योगी

राम मंदिर के लिए लंबा संघर्ष करने वाले कल्याण सिंह का जन्म 5 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में अतरौली तहसील के मढ़ौली गांव में किसान परिवार में हुआ था। राजनीति में उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और न ही अपने को थका हुआ महसूस होने दिया।भाजपा से अनबन के बाद उन्होंने अपने समर्थकों के साथ राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई। कुछ सालों के बाद भाजपा को उनकी कमी खली जिस पर फिर से उनकी भाजपा में दमदार वापसी हुई।

मंत्रिमंडल के साथ अयोध्या पहुंचकर ली थी मंदिर निर्माण की शपथ

कल्याण सिंह बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए और 1967 में पहली बार विधायक चुने गए। कल्याण सिंह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान वह हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल रहे। उन्होंने 90 के दशक में अयोध्या में विवादित ढांचा गिरने की जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने पहली बार सीएम बनने पर मंत्रिमंडल के साथ सीधे अयोध्या पहुंचकर राम मंदिर बनाने की शपथ ली थी।

यह भी देखें : सीएम योगी ने खोला योजनाओं का पिटारा, युवाओं के लिये विशेष सौगात

आज भी होती है नकल अध्यादेश की चर्चा

कल्याण सिंह को जहां राम नगरी अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन पर प्रखर भूमिका के लिए याद किया जाएगा, तो वहीं शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए उनके मुख्यमंत्रित्व काल में लाया गया नकल विरोधी अध्यादेश आज भी याद किया जाता है। नकल विरोधी कानून बनाकर उन्होंने प्रदेश में शिक्षा की शुचिता को बहाल करने का काम किया। मंडल की राजनीति के बीच उन्होंने कमंडल की राजनीति करते हुए पिछड़ों के मंदिर आंदोलन व हिंदुत्व से अलग न जाने देने के लिए जी तोड़ मेहनत की। मंडल आयोग की सिफारिशों पर उन्होंने पिछड़ों को उनका हक देने के लिए सामाजिक समरसता का फार्मूला सुझाया जिसमें किसी का अधिकार छीने बिना जरूरतमंदों को उनका अधिकार देने की बात कही।

You may also like

Leave a Comment

tejas-khabar-logo

अप्रैल 2020 में स्थापित तेजस ख़बर भारत का अग्रणी हिंदी समाचार वेब पोर्टल है, जिसका उद्देश्य भारत के करोड़ों भारतीयों तक खबरें पहुंचाना है और दुनिया भर में महत्वपूर्ण भारतीय प्रवासी हैं जो भारत में आधारित विभिन्न समाचारों और कहानियों के साथ भारत से संपर्क में रहने के लिए उत्सुक हैं।

Latest News

Sport News